Sunday, October 12, 2025

“दिवाली, जब रोशनी बनती है संस्कार की पहली सीख”

दिवाली को अक्सर हम रोशनी और मिठाइयों का त्योहार मानते हैं, लेकिन असल में यह बच्चों के लिए संस्कारों की पहली पाठशाला होती है। बच्चे के लिए दिवाली को समझाना मतलब उन्हें यह सिखाना कि रोशनी सिर्फ घर में नहीं, दिल और विचारों में भी होनी चाहिए।

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कहानी के जरिए सिखाएं, ‘अंधकार पर प्रकाश की जीत’

बच्चे कहानियों से जल्दी जुड़ते हैं. उन्हें रामायण की कथा सुनाएं। कैसे भगवान श्रीराम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे और नगरवासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया।

फिर बताएं कि दीपक जलाने का अर्थ सिर्फ घर को सजाना नहीं, बल्कि मन को भी रोशन करना है। अच्छे विचारों, ईमानदारी और प्रेम की रोशनी से।

त्योहार सिर्फ मस्ती नहीं, जिम्मेदारी की सीख भी

दिवाली पर मां लक्ष्मी साफ-सुथरे घर में आती हैं। यह बात बच्चों को समझाएं. उनसे कहें कि वे अपने खिलौने, किताबें और कमरा खुद सजाएं।

इससे वे सीखेंगे कि त्योहार सिर्फ मस्ती का नहीं, जिम्मेदारी और अनुशासन का भी प्रतीक है।

धार्मिकता से ज्यादा मानवीयता का पाठ

बच्चों को यह बताना जरूरी है कि दिवाली किसी धर्म की जीत नहीं, बल्कि सच्चाई, मेहनत और प्रेम की जीत है।

उन्हें सिखाएं कि किसी जरूरतमंद को मिठाई या कपड़ा देना भी पूजा का हिस्सा है. यही वह दीप हैं जो मानवता के मंदिर में जलते हैं।

आर्ट और सृजन के माध्यम से त्योहार को महसूस कराएं

दिवाली बच्चों में क्रिएटिविटी और साझेदारी की भावना जगाने का सही समय है। उनसे दीये रंगवाएं, पेपर लैंप बनवाएं, या घर की सजावट में शामिल करें।

इससे वे त्योहार को सिर्फ उत्सव नहीं, बल्कि सृजन और सहयोग का अनुभव मानेंगे। जैसे पहले पूरे मोहल्ले के साथ दिवाली मनाई जाती थी।

पटाखों की जगह प्रकृति की सुरक्षा सिखाएं

बच्चों को बताएं कि पटाखे पलभर की चमक हैं, लेकिन पेड़ लगाना, पक्षियों को दाना देना और जल बचाना असली रोशनी है।

कहें कि लक्ष्मी मां वहीं आती हैं, जहां सफाई, शांति और पर्यावरण की रक्षा होती है।

लक्ष्मी पूजा का असली अर्थ

उन्हें समझाएं कि मां लक्ष्मी सिर्फ धन नहीं, बल्कि सद्बुद्धि और संतोष की देवी हैं।

जब पूजा करें, तो बच्चों से कहें कि हम मां से यह आशीर्वाद मांगते हैं। “हमें मेहनत और सच्चाई की राह पर बनाए रखें.” यही असली पूजन है.

शेयरिंग इस केयरिंग, यही दिवाली का संदेश

बच्चे को सिखाएं कि दिवाली की सच्ची खुशी खुशियां बांटने में है। किसी गरीब को दीप देना, मिठाई साझा करना या किसी जरूरतमंद के साथ वक्त बिताना। यही असली दीपावली की पूजा है.

अंत में, जब दिल में दीप जलता है

बच्चे को दिवाली समझाना यानी उसे जीवन के संस्कार सिखाना है।

अगर वह यह समझ जाए कि दीपक सिर्फ तेल से नहीं, बल्कि अच्छे विचारों से जलते हैं, तो आपने उसे सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन का दर्शन सिखा दिया।

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