इस साल पाँच दिनों के दीपावली पर्व के बीच एक दिन खाली रहने से लोगों में कुछ बातों पर असमंजस बना हुआ है, इसलिए रिपोर्ट भारत ने दीपावली की सही तिथि और मुहूर्त्त जानने के लिए जयविनोदी जयपुर पंचांग के संपादक पं आदित्य मोहन शर्मा और सर्वेश्वर जयादित्य पंचांग के संपादक पं. अमित शर्मा और मुदित आचार्य से बात की। उन्होंने रिपोर्ट भारत को बताया कि दीपावली के सबसे शुभ मुहूर्त्त कब हैं और पूजा में क्या क्या करना चाहिए।
धनतेरस – 29 अक्टूबर 2024
रूप चतुर्दशी – 30 अक्टूबर 2024
दीपावली – 31 अक्टूबर 2024
गोवर्धन – 2 नवंबर 2024
भाईदूज – 3 नवंबर 2024
दीपावली लक्ष्मीपूजन के मुहूर्त्त
इस साल दीपावली 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को है। देश के ज्यादातर विद्वानों ने 31 अक्टूबर 2024 को सबसे शुभ बताया है। 31 अक्टूबर को दोपहर 14:39 बजे अमावस्या शुरू हो जाएगी, इसके बाद प्रदोषकाल व मध्यरात्रि में अमावस्या होने से आज ही के दिन दीपावली और लक्ष्मीपूजन किया जाएगा।
दीपावली में लक्ष्मी पूजा के 3 काल सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण हैं – प्रदोषकाल, वृष लग्न और सिंह लग्न। सूर्यास्त के 72 मिनट बाद तक प्रदोषकाल होता है, और इसके ठीक बाद वृष लग्न होता है और ढलती रात में सिंह लग्न आता है। प्रदोषकाल और वृष लग्न में पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त्त होता है। लक्ष्मीपूजा के मुहूर्त्त यह रहेंगे-
31 अक्टूबर को दीपावली के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त्त
शाम 06:36 से 08:03 तक
(इस समय प्रदोषकाल और वृष लग्न दोनों रहेंगे)
शाम 06:46 से 06:57 तक
(इस समय स्थिर वृष लग्न में स्थिर सिंह नवांश रहेगा)
शाम 19:23 से 19:35 तक
(इस समय स्थिर वृष लग्न में स्थिर वृष नवांश रहेगा)
रात्रि में लक्ष्मीपूजा के सारे श्रेष्ठ मुहूर्त्त
सर्वश्रेष्ठ प्रदोष काल – शाम 05:39 से 08:03 तक
शाम के समय स्थिर लग्न वृष – शाम 06:36 से 08:31 तक
मध्यरात्रि के समय स्थिर लग्न सिंह – अर्धरात्रि 01:06 से 03:22 तक
निशीथ मुहूर्त्त – रात 11:45 से 00:36 तक
द्विस्वभाव लग्न मिथुन – रात 08:32 से 10:46 तक
द्विस्वभाव लग्न कन्या – रात 03:17 से 05:33 तक
रात्रि के शुभ चौघड़िया
अमृत का चौघड़िया- शाम 05:39 से 07:20 तक
चंचल का चौघड़िया – रात 07:20 से 08:57 तक
लाभ का चौघड़िया – रात 00:10 से 01:47 तक
शुभ का चौघड़िया – रात03:23 से 05:00 तक
अमृत का चौघड़िया – अगली सुबह 05:00 से सूर्योदय 06:39 तक
दुकानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर पूजा के लिए दिन के श्रेष्ठ मुहूर्त्त
विशेष मुहूर्त्त
अभिजीत मुहूर्त्त : 11:48 – 12:33 तक
दिन के चौघड़िया मुहूर्त्त
शुभ का चौघड़िया : सुबह 06:36 से 08:00 तक
लाभ का चौघड़िया : 12:10 से 01:34 तक
अमृत का चौघड़िया : दोपहर 01:34 से 02:57 तक
शुभ का चौघड़िया: शाम 04:21 से 05:44 तक
दिन के लग्न मुहूर्त्त
धनु लग्न : सुबह 10:11 से 12:16 तक
कुम्भ लग्न: दोपहर 01:59 से 03:29 तक
मीन लग्न: अपराह्न 03:29 से 04:55 तक
✿ अन्य शहरों के दीपावली लक्ष्मी पूजन मुहूर्त्त ✿ | ||
शहर | प्रदोष काल(रात) | वृष लग्न(रात) |
दिल्ली | 05:37 – 08:01 | 06:27 – 08:23 |
वाराणसी | 05:18 – 07:42 | 06:06 – 08:03 |
देहरादून | 05:32 – 07:56 | 06:17 – 08:12 |
जयपुर | 05:39 – 08:03 | 06:36 – 08:31 |
पटना | 05:09 – 07:33 | 05:57 – 07:54 |
भोपाल | 05:42 – 08:06 | 06:32 – 08:30 |
चण्डीगढ़ | 05:35 – 07:59 | 06:21 – 08:16 |
मथुरा | 05:36 – 08:00 | 06:24 – 08:20 |
मुंबई | 06:05 – 08:29 | 06:57 – 08:56 |
अहमदाबाद | 06:01 – 08:25 | 06:52 – 08:50 |
बैंगलोर | 05:50 – 08:14 | 06:47 – 08:49 |
1 नवंबर को लक्ष्मीपूजन के लिए 1 मिनट का भी मुहूर्त्त नहीं
1 नवंबर को पूरे देश में कहीं भी अमावस्या में वृष लग्न नहीं मिल रहा है, इस कारण 1 नवंबर को लक्ष्मी पूजन का कोई भी मुहूर्त नहीं है। क्योंकि स्थिर वृष लग्न में ही लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है ताकि वह स्थिर रूप से हमारे घर में निवास करें। पर इस बार दृक अमावस्या चर मेष लग्न में ही खत्म हो जाएगी और वृष लग्न को छू भी नहीं पाएगी, जिस कारण एक नवंबर को 1 मिनट के लिए भी लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त नहीं मिलेगा। 31 अक्टूबर को ही लक्ष्मी पूजा के शुद्ध मुहूर्त्त मिल रहे हैं। शाम को वृष लग्न तो अर्धरात्रि का सिंह लग्न भी अमावस्या में मिल रहा है।
यह सामग्री और पुष्प भी हैं विशेष प्रिय
पूजा सामग्री –
धूप, घी का दीपक, नैवेद्य, ऋतुफल, वस्त्र, रोली, चन्दन, मिठाई, लाजा, पंचामृत, नारियल, गन्ना, अनार, केला, कपूर, माला, चाँदी का सिक्का
लक्ष्मी जी को प्रिय पत्र पुष्प –
बेलपत्र, तुलसी, केले के पत्ते, कमल, कनेर, जाती, चम्पा, जूही, मालती, पारिजात
लक्ष्मी प्राप्ति हवन –
हवन में कमल, बेलफल, त्रिमधुर (गुड़-नारियल-केला), सूखा खीर तथा तिल का प्रयोग किया जाता है।
आम, बेल, अनार की लकड़ी पर हवन करने से विशेष लाभ होता है।
अशोक की लकड़ी पर लक्ष्मी मन्त्र से हवन करने से राज्य समृद्धि मिलती है।
विष्णु मंदिर में बेलवृक्ष के नीचे बैठकर लक्ष्मी की पूजा करने से तत्काल लाभ मिलता है।
दीपावली पर लक्ष्मी जी के साथ, विष्णु जी, गणेश जी, सरस्वती जी, कुबेर और इन्द्र की पूजा भी करनी चाहिए।
लक्ष्मी प्रार्थना का मंत्र है –
नमस्ते सर्वदेवानां वरदासि हरिप्रिये।
या गतिः त्वत् प्रपन्नानां सा मे भूयात् त्वदर्चनात्।।
लक्ष्मी जी को सागर से उत्पन्न होने के कारण सिन्धुजा, सागर सम्भवा, आर्द्रा, पिता भी कहते हैं। लक्ष्मी जी की आराधना के लिए 27 मन्त्रों वाले श्री सूक्त का पाठ करना चाहिए। यह सर्वोत्तम विधान है।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए विविध मंत्र
यह हैं महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के कुछ विशेष मन्त्र जिनसे कम समय में ज्यादा लाभ उठाया जा सकता है-
1. एकाक्षर मन्त्र – ” श्रीं ” (श्रीम् )
2. चतुरक्षर मन्त्र – एम् श्रीम् ह्रीं क्लीम्
3. दशाक्षर मन्त्र – नमः कमलवासिन्यै स्वाहा
4. द्वादशाक्षर मन्त्र – एम् ह्रीं श्रीम् क्लीम् सौं जगत्प्रसूत्यै नमः
5. 27 अक्षर मन्त्र – ॐ श्रीम् ह्रीं श्रीम् कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीम् ह्रीं श्रीम् महालक्ष्म्यै नमः
लक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुम को निशदिन सेवत मैयाजी को निस दिन सेवत
हर विष्णु विधाता । ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
उमा रमा ब्रह्माणी, तुम ही जग माता ।
ओ मैया तुम ही जग माता ।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
दुर्गा रूप निरंजनि सुख सम्पति दाता,
ओ मैया सुख सम्पति दाता ।
जो कोई तुम को ध्यावत ऋद्धि सिद्धि धन पाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम पाताल निवासिनि, तुम ही शुभ दाता,
ओ मैया तुम ही शुभ दाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशिनि, भव निधि की दाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
जिस घर तुम रहती तहँ सब सद्गुण आता, ओ मैया सब सद्गुण आता ।
सब संभव हो जाता मन नहीं घबराता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता,
ओ मैया वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव सब तुम से आता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर क्षीरोदधि जाता,
ओ मैया क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता , ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
महा लक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता,
ओ मैया जो कोई जन गाता ।
उर आनंद समाता पाप उतर जाता, ॐ जय लक्ष्मी माता ॥
गोवर्धन अन्नकूट महोत्सव
2 नवंबर शनिवार को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा पर अन्नकूट गोवर्द्धन पूजा होगी, जो शाम 06:27 से पहले सम्पन्न की जाएगी। भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग लगाएं।
भाईदूज
3 नवंबर रविवार को भाई दूज या यमद्वितीया मनाई जाएगी। इस दिन बहन भाई का तिलक करती है और भाई बहन के घर भोजन करते हैं। आज यमतर्पण, चित्रगुप्त सहित यमपूजन, यमुनास्नान, का भी किया जाता है। द्वितीया शाम 07:50 बजे तक है, इसलिए इसके पहले पूरे दिन भाईदूज मनाई जाएगी।
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