Friday, October 31, 2025

चाबहार बंदरगाह छूट: भारत को चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंधों से 6 महीने की छूट, विदेश मंत्रालय ने की पुष्टि

चाबहार बंदरगाह छूट: भारत ने गुरुवार (30 अक्टूबर 2025) को पुष्टि की कि ईरान के चाबहार बंदरगाह पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू नहीं होंगे। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा कि अमेरिका ने भारत को इस बंदरगाह पर छह महीने की विशेष छूट प्रदान की है, जिससे यह परियोजना बिना किसी रुकावट के आगे बढ़ सकेगी। यह कदम भारत की क्षेत्रीय कनेक्टिविटी और रणनीतिक हितों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।

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चाबहार बंदरगाह छूट: 10 साल का समझौता और भारत का निवेश

चाबहार बंदरगाह छूट: पिछले साल भारत ने ईरान के साथ 10 साल का समझौता किया था, जिसके तहत सरकारी कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) ने चाबहार बंदरगाह के विकास में 37 करोड़ डॉलर (370 मिलियन USD) का निवेश करने का वादा किया था।

इस समझौते का उद्देश्य भारत के लिए एक ऐसा वैकल्पिक व्यापारिक मार्ग तैयार करना था, जो पाकिस्तान को बाईपास करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक सीधा संपर्क स्थापित करे।

यह बंदरगाह भारत के लिए रणनीतिक रूप से इसलिए भी अहम है क्योंकि यह इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है — जो भारत, ईरान, रूस, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और यूरोप के बीच व्यापारिक कनेक्टिविटी को मजबूत बनाता है।

अमेरिका ने बढ़ाई छूट की समयसीमा

चाबहार बंदरगाह छूट: अमेरिका ने पहले ईरान से जुड़े बंदरगाहों पर छूट की समयसीमा 29 सितंबर 2025 तय की थी, जिसके बाद प्रतिबंध लागू होने थे। लेकिन भारत के अनुरोध और रणनीतिक महत्व को देखते हुए वॉशिंगटन ने अब इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया है।

इसका मतलब है कि भारत अब मई 2026 तक बिना किसी अमेरिकी प्रतिबंध के चाबहार परियोजना पर काम जारी रख सकेगा।

चाबहार बंदरगाह छूट: यह निर्णय ऐसे समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच एक बड़े व्यापारिक समझौते पर बातचीत चल रही है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा — “भारत और अमेरिका दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक साझेदारी है। हम व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए अमेरिकी पक्ष से लगातार बातचीत कर रहे हैं।”

चाबहार बंदरगाह छूट: भारत की क्षेत्रीय रणनीति को मजबूती

चाबहार बंदरगाह छूट: भारत की यह परियोजना केवल एक बंदरगाह निर्माण नहीं, बल्कि एक नई भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है। चाबहार बंदरगाह भारत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट (जहां चीन की बड़ी उपस्थिति है) का विकल्प देता है।

इसके जरिए भारत अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान जैसे लैंडलॉक्ड देशों तक सीधी पहुंच बना सकता है।

भारत ने साल 2023 में इस परियोजना के लिए प्रस्ताव पेश किया था, जिसमें कहा गया था कि यह बंदरगाह “क्षेत्रीय स्थिरता, व्यापार और कनेक्टिविटी” का केंद्र बनेगा। यह भी पहली बार था जब भारत ने किसी विदेशी पोर्ट का परिचालन प्रबंधन (Port Operation) अपने हाथ में लिया था।

चाबहार बंदरगाह छूट: विशेषज्ञों की राय

चाबहार बंदरगाह छूट: विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारत की “रणनीतिक स्वायत्तता (Strategic Autonomy)” का उदाहरण है। एक तरफ भारत अमेरिका के साथ आर्थिक संबंध मजबूत कर रहा है, वहीं दूसरी ओर ईरान जैसे देशों के साथ अपने पारंपरिक सहयोग को भी बनाए रख रहा है।

यह छूट इस बात का संकेत है कि अमेरिका भी भारत की भूमिका को लेकर लचीला और व्यावहारिक रुख अपना रहा है।

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