Celebi Aviation Security Clearance: दिल्ली हाई कोर्ट ने तुर्किए की कंपनी सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया है।
यह याचिका भारत सरकार के उस फैसले को चुनौती देने के लिए दाखिल की गई थी, जिसमें कंपनी की सुरक्षा मंजूरी रद्द की गई थी।
कोर्ट ने साफ कहा कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लिया गया है और इसमें हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है।
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ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद रद्द हुई थी मंजूरी
Celebi Aviation Security Clearance: केंद्र सरकार ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेलेबी की सुरक्षा मंजूरी को रद्द करने का निर्णय लिया था।
नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) ने 15 मई 2025 को सेलेबी की मंजूरी रद्द कर दी थी।
इसके खिलाफ सेलेबी ने 21 मई को हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि सरकार का यह कदम न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है और कंपनी को अपना पक्ष रखने का अवसर नहीं दिया गया।
क्या करती है सेलेबी इंडिया?
Celebi Aviation Security Clearance: सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया और सेलेबी दिल्ली कार्गो टर्मिनल मैनेजमेंट देश के कई बड़े हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग और कार्गो प्रबंधन का कार्य करती हैं।
ये कंपनियाँ पिछले 15 वर्षों से भारत में सक्रिय हैं और 10,000 से अधिक कर्मचारी इनसे जुड़े हुए हैं।
इनकी सेवाएं देश के 9 प्रमुख एयरपोर्ट्स पर उपलब्ध थीं।
सरकार ने सेलेबी को बताया राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा
Celebi Aviation Security Clearance: केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट में कहा गया कि मौजूदा हालात में सेलेबी की सेवाएं जारी रखना विमानन सुरक्षा के लिए खतरनाक हो सकता है।
यह निर्णय एक संवेदनशील जानकारी के आधार पर लिया गया, जिससे यह आशंका बनी कि कंपनी की मौजूदगी से भारत की सुरक्षा व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
सुनवाई का अवसर नहीं, फिर भी फैसला कायम
Celebi Aviation Security Clearance: सेलेबी की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि नागर विमानन सुरक्षा ब्यूरो के महानिदेशक ने उन्हें न तो कारण बताया और न ही सुनवाई का अवसर दिया।
बावजूद इसके, हाईकोर्ट ने सरकार की दलील को मानते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में सरकार के पास विशेष अधिकार होते हैं, और कोर्ट उसमें हस्तक्षेप नहीं करेगा।
बीसीएएस के आदेश में स्पष्ट कहा गया कि सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया की सुरक्षा मंजूरी को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है, क्योंकि यह फैसला राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।