Caste Census: केंद्र सरकार ने सोमवार को जातीय जनगणना को लेकर बड़ा कदम उठाया है।
गृह मंत्रालय ने इसका आधिकारिक नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह जनगणना दो चरणों में कराई जाएगी।
Caste Census: पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से शुरू होगा, जिसमें हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे चार पहाड़ी राज्य शामिल होंगे दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से देश के बाकी हिस्सों में शुरू किया जाएगा।
Caste Census: स्वतंत्र भारत की पहली जातीय जनगणना
Caste Census: यह पहली बार है जब आजादी के बाद पूरे भारत में जातिगत जनगणना करवाई जाएगी।
इससे पहले 2011 में कांग्रेस सरकार में सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण हुआ था, लेकिन उसमें दर्ज जातिगत आंकड़े कभी सार्वजनिक नहीं किए गए।
केंद्र ने 30 अप्रैल 2025 को इस जनगणना को मंजूरी दी थी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि जातिगत जानकारी को सामान्य जनगणना प्रक्रिया में ही शामिल किया जाएगा।
राहुल गांधी की मांग और विपक्ष का दबाव
Caste Census: विपक्ष खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग करते रहे हैं। 2023 में उन्होंने सबसे पहले इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया और विभिन्न मंचों पर इसे दोहराया।
हालांकि, केंद्रीय मंत्री वैष्णव का कहना है कि कांग्रेस ने हमेशा इस प्रक्रिया का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि 2010 में डॉ. मनमोहन सिंह ने केवल मंत्रियों के समूह के जरिए विचार की बात कही थी, लेकिन जनगणना पर कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया।
जनगणना एक्ट में होगा संशोधन
Caste Census: जनगणना एक्ट 1948 के तहत अभी केवल SC और ST वर्गों की गिनती होती है।
OBC जातियों को शामिल करने के लिए एक्ट में संशोधन जरूरी होगा।
2011 के अनुसार देश में 1,270 SC जातियां और 748 ST जातियां हैं।
SC की आबादी 16.6% और ST की 8.6% थी।
OBC की 2,650 जातियां मानी जाती हैं, जिनकी सटीक संख्या कभी रिकॉर्ड नहीं की गई।
2011 की SECC रिपोर्ट बनी रहस्य
Caste Census: 2011 में मनमोहन सरकार के कार्यकाल में सामाजिक-आर्थिक जातिगत जनगणना (SECC) कराई गई थी। इसके लिए 4,389 करोड़ रुपए का बजट पास हुआ था।
यह सर्वे ग्रामीण विकास, शहरी विकास और गृह मंत्रालय के सहयोग से किया गया।
हालांकि, केवल SC-ST हाउसहोल्ड के आंकड़े ही सार्वजनिक हुए। OBC और अन्य जातियों के आंकड़े आज तक सार्वजनिक नहीं किए गए।
जनगणना फॉर्म में हो सकते हैं बदलाव
अब तक की जनगणनाओं में 29 कॉलम होते थे, जिनमें नाम, उम्र, लिंग, शिक्षा, व्यवसाय और SC/ST पहचान शामिल होती थी।
जातिगत जनगणना के लिए इसमें नई प्रविष्टियां जोड़ी जाएंगी, ताकि हर व्यक्ति की जाति का रिकॉर्ड दर्ज किया जा सके।
जातिगत राजनीति और आरक्षण की ऐतिहासिक मांग
जातिगत आधार पर राजनीति कोई नई बात नहीं है। पक्ष-विपक्ष दोनों ही अलग-अलग तरीके से हर बार इसे मुद्दा बनाते रहे हैं।
1979 में मंडल कमीशन का गठन हुआ था, जिसकी सिफारिशों को 1990 में लागू किया गया।
इसके बाद देशभर में आरक्षण विरोधी आंदोलन हुए।
कांशीराम, लालू यादव और मुलायम सिंह जैसे नेताओं ने जातिगत आंकड़ों के आधार पर आरक्षण की पुरजोर वकालत की।