Bihar Election: बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षक भर्ती में डोमिसाइल नीति लागू करने का फैसला किया है।
TRE-4 से लागू होने वाली इस नीति के तहत बिहार के निवासियों को भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी। दिलचस्प बात यह है कि 2020 में लागू हुई यह नीति 2023 में खत्म कर दी गई थी और अब चुनाव से पहले इसकी वापसी ने राजनीति को और गर्मा दिया है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने इसे अपनी योजनाओं की नकल बताते हुए सरकार पर सवाल उठाए हैं, जबकि प्रशांत किशोर लंबे समय से इसी मांग को लेकर आंदोलन कर चुके हैं।
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Bihar Election: पटना से गांधी मैदान तक दबाव और आंदोलन
Bihar Election: डोमिसाइल नीति की मांग सिर्फ़ राजनीतिक मंचों तक सीमित नहीं थी। पटना के गांधी मैदान में छात्रों का आंदोलन “वोट दे बिहारी और नौकरी ले बाहरी” जैसे नारों के साथ तेज हुआ।
प्रशांत किशोर और कई अन्य नेताओं ने भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया, जिससे सरकार पर दबाव बढ़ा।
नीतीश कुमार ने इस कदम को शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए जरूरी बताया और TRE-4 एवं TRE-5 की परीक्षा के लिए शिक्षा विभाग को नियम संशोधन का निर्देश दिया।
नीतीश की लोकलुभावन घोषणाएं
Bihar Election: बीते कुछ महीनों में नीतीश कुमार ने सिर्फ डोमिसाइल नीति ही नहीं, बल्कि कई ऐसे फैसले लिए जो हर वर्ग को साधने की कोशिश दिखाते हैं।
सामाजिक सुरक्षा पेंशन में बढ़ोतरी, बिजली की फ्री-यूनिट, आशा-ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि, युवा आयोग का गठन और एक करोड़ रोजगार देने का वादा, इन घोषणाओं से उन्होंने अपने ‘सुशासन बाबू’ वाले छवि को दोबारा मजबूत करने की कोशिश की है।
Bihar Election: रोजगार और सरकारी नौकरी का बड़ा ऐलान
Bihar Election: जुलाई 2025 में नीतीश कुमार ने दावा किया था कि अब तक 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी और 39 लाख को रोजगार दिया जा चुका है।
उन्होंने अगले पांच साल में एक करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का वादा किया। साथ ही, जननायक कर्पूरी ठाकुर के नाम पर कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की भी घोषणा की।
विपक्ष का वार: कॉपी-पेस्ट सरकार?
Bihar Election: विपक्ष ने इसे पूरी तरह चुनावी रणनीति बताते हुए नीतीश कुमार पर योजनाओं की “कॉपी-पेस्ट” का आरोप लगाया।
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर लिखा, “20 साल की थकी-हारी सरकार ने हमारी हर योजना की नकल कर चुनावी वर्ष में घोषणाएं कर दी हैं।”
उन्होंने सामाजिक सुरक्षा पेंशन से लेकर रोजगार तक हर घोषणा को आरजेडी की दृष्टि की नकल बताया।
Bihar Election: सुशासन या चुनावी चाल?
लंबे शासन के बाद नीतीश कुमार के खिलाफ सत्ता-विरोधी लहर स्पष्ट है। ऐसे में, उनकी लगातार घोषणाएं यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या ये वास्तव में सुशासन की निरंतरता हैं या महज़ चुनावी चाल।
चुनावी साल में वोटरों को साधने के लिए किए गए ये फैसले कितने असरदार होंगे, यही आने वाले महीनों में बिहार की राजनीति की दिशा तय करेगा।