लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: नींद सिर्फ आराम का जरिया नहीं, बल्कि शरीर और दिमाग की सही कार्यप्रणाली की नींव है।
लेकिन सवाल यही है कि क्या रोज़ाना लगातार 8 घंटे सोना ही सबसे सही तरीका है, या फिर रात की नींद के साथ दिन में छोटे-छोटे गैप में सोना (स्प्लिट स्लीप) भी उतना ही फायदेमंद हो सकता है?
हर व्यक्ति की लाइफस्टाइल और बॉडी क्लॉक अलग होती है, इसलिए स्लीप पैटर्न भी अलग असर डालते हैं।
नींद के दो प्रमुख पैटर्न
लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: आमतौर पर लोग दो तरह की नींद व्यवस्था अपनाते हैं।
पहला, लगातार रात की नींद, जिसमें व्यक्ति एक ही बार में 7–8 घंटे सोता है।
दूसरा, स्प्लिट स्लीप पैटर्न, जिसमें रात की नींद के साथ दिन में 20 से 90 मिनट की छोटी झपकी शामिल होती है।
दोनों के अपने फायदे और सीमाएं हैं।
डीप स्लीप और REM नींद का महत्व
लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: लगातार रात की नींद का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें शरीर को डीप स्लीप और REM स्लीप के लंबे चक्र मिलते हैं।
इसी दौरान दिमाग दिनभर की जानकारी को प्रोसेस करता है, जरूरी यादों को मजबूत बनाता है और मानसिक थकान से उबरता है।
यही वजह है कि अच्छी रात की नींद लेने वाले लोगों की याददाश्त और निर्णय क्षमता आमतौर पर बेहतर होती है।
हार्मोनल संतुलन पर असर
लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: रात की नियमित नींद मेलाटोनिन और कोर्टिसोल जैसे हार्मोन्स को सही समय पर रिलीज होने में मदद करती है। इससे शरीर की बायोलॉजिकल क्लॉक संतुलित रहती है।
वहीं, दिन में ली जाने वाली नैप अगर सही समय और सीमित अवधि में न हो, तो हार्मोनल रिदम में हल्का-फुल्का बदलाव आ सकता है।
स्प्लिट स्लीप: लचीलापन और राहत
लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: स्प्लिट स्लीप पैटर्न उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जिनका शेड्यूल अनियमित रहता है या जो शिफ्ट वर्क करते हैं।
दिन में ली गई छोटी झपकी स्लीप प्रेशर को कुछ हद तक कम कर देती है, जिससे शरीर को बीच में ही आराम मिल जाता है।
इससे थकान घटती है और दिमाग दोबारा एक्टिव महसूस करता है।
दिनभर की ऊर्जा और फोकस
लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: अगर रात की नींद पूरी हो जाए, तो आमतौर पर दिनभर ऊर्जा और फोकस स्थिर रहता है।
लेकिन जिन लोगों को दोपहर में सुस्ती या भारीपन महसूस होता है, उनके लिए छोटी नैप काफी फायदेमंद साबित हो सकती है।
यह सोचने-समझने की क्षमता और परफॉर्मेंस दोनों को बेहतर बनाती है।
स्वास्थ्य पर लंबे समय का प्रभाव
लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: नियमित और पर्याप्त रात की नींद मेटाबॉलिज्म, दिल की सेहत और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है।
नैप लेने से मानसिक सतर्कता तो बढ़ती है, लेकिन इसके लंबे समय के शारीरिक प्रभावों पर अभी सीमित रिसर्च उपलब्ध है।
इसलिए नैप को मुख्य नींद का विकल्प नहीं, बल्कि सपोर्ट के रूप में देखना बेहतर माना जाता है।
आपके लिए सही पैटर्न कौन-सा?
लगातार 8 घंटे की नींद या बीच-बीच में नैप: सबसे अच्छा स्लीप स्ट्रक्चर वही है जो आपकी रूटीन, काम के दबाव और शरीर की जरूरतों के साथ फिट बैठे।
अगर दोपहर की झपकी से आपकी एकाग्रता बढ़ती है, तो उसे 20 से 90 मिनट तक सीमित रखें, ताकि रात की नींद प्रभावित न हो।
साथ ही, कुल नींद का समय इतना जरूर हो कि शरीर और दिमाग दोनों को पूरी रिकवरी मिल सके।
बेहतर नींद के लिए जरूरी टिप्स
- सोने और उठने का समय तय रखें
- सोने से पहले स्क्रीन टाइम कम करें
- शांत और आरामदायक माहौल में सोने की आदत डालें
- तनाव को मैनेज करना सीखें
- कुछ दिनों तक अपने मूड, फोकस और ऊर्जा स्तर पर नजर रखें
इससे आपको खुद समझ आ जाएगा कि कौन-सा स्लीप पैटर्न आपके लिए लंबे समय तक ज्यादा फायदेमंद और टिकाऊ है।
Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें। किसी भी बड़े बदलाव से पहले डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।

