Banke Bihari Mandir Dispute: बांके बिहारी मंदिर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने प्रबंधन समिति से कड़े सवाल पूछते हुए कहा कि मंदिर का फंड केवल किसी एक समूह की संपत्ति नहीं है।
“भगवान सबके हैं, आप क्यों चाहते हैं कि सारा फंड आपकी पॉकेट में ही जाए?”
Banke Bihari Mandir Dispute: जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की बेंच ने यह टिप्पणी तब की जब समिति ने 15 मई के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें मंदिर के फंड से कॉरिडोर निर्माण की अनुमति दी गई थी।
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मंदिर प्रबंधन पर दो गुटों का झगड़ा, सरकार की दखल पर आपत्ति
Banke Bihari Mandir Dispute: याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने कहा कि बांके बिहारी मंदिर एक निजी मंदिर है और सदियों से गोस्वामी परिवार इसका संचालन करता आ रहा है।
उन्होंने आरोप लगाया कि दो गुटों के विवाद के बीच राज्य सरकार ने बिना अधिकार दखल दिया और सुप्रीम कोर्ट से आदेश लेकर मंदिर का फंड कॉरिडोर के लिए लेने की इजाजत भी पा ली।
इसके बाद सरकार ने एक नया अध्यादेश भी जारी कर दिया, जिससे मूल ट्रस्टियों को बाहर कर दिया गया।
कोर्ट ने उठाया सवाल, विकास फंड से क्यों नहीं?
Banke Bihari Mandir Dispute: सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सर्वोपरि है।
अगर मंदिर में लाखों लोग आते हैं तो उनके लिए बुनियादी ढांचे का विकास जरूरी है।
मंदिर का फंड अगर उसी के विकास में लगे, तो इसमें समस्या क्या है?
कोर्ट ने कहा कि विकास कार्य राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन अगर कोई फंड पहले से उपलब्ध है, तो उसका जनहित में उपयोग किया जाना चाहिए।
बिना सुने आदेश कैसे आया? वकील का सवाल
Banke Bihari Mandir Dispute: श्याम दीवान ने कोर्ट से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट ने बिना सुनवाई के मंदिर फंड को सरकार द्वारा उपयोग की इजाजत कैसे दे दी?
उन्होंने कहा कि यह असल में भूमि अधिग्रहण और मंदिर प्रबंधन से जुड़ा मामला था, न कि कॉरिडोर निर्माण की अनुमति देने का।
उन्होंने सुझाव दिया कि अगर सरकार को विकास करना है तो उसे अपने फंड से करना चाहिए, मंदिर के दान से नहीं।
रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाने पर विचार
Banke Bihari Mandir Dispute: करीब 50 मिनट चली सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि 15 मई को दिए गए आदेश को वापस लिया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा कि मंदिर के प्रबंधन की निगरानी के लिए रिटायर्ड हाई कोर्ट जज की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई जा सकती है, जिसमें स्थानीय जिलाधिकारी और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाएगा।
यह कमेटी क्षेत्र के ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक पर्यटन को ध्यान में रखते हुए विकास की निगरानी करेगी।