Bangladeshi-Rohingya: केंद्र की मोदी सरकार ने भारत में बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ ऑपरेशन पुश-बैक चलाया हुआ है। इस ऑपरेशन के तहत त्वरित कार्रवाई करते हुए घुसपैठियों को उनके मुल्क चुन-चुनकर वापस भेजा रहा है।
अब तक करीब एक हजार से अधिक बांग्लादेशी वापस भेजे जा चुके हैं। इसी तरह रोहिंग्याओं पर भी सरकार सख्त है। जाहिर ये कार्रवाई इस्लामी कट्टरपंथियों को और उन लोगों को पसंद नहीं आ रही जिनपर एक्शन हो रहा है।
इसी क्रम में भारतीय सेना और सरकार दोनों को बदनाम करने के प्रयास भी पूरे हैं। कुछ मीडिया हाउस भी मोदी सरकार को बदनाम करने में लगे हैं।
7 मई तक 1053 को भेजा सीमा पार : रिपोर्ट
हाल में डेली स्टार में प्रकाशित खबर के अनुसार 7 मई तक करीब 1053 लोगों को सीमा पार वापस भेजा गया है। इनमें खगराछारी में 111 लोगों को, कुरीग्राम में 84 लोगों को, सिलहट में 103 लोगों को, मौलवीबाजार में 331 लोगों को, हबीगंज में 19 लोगों को,
सुनामगंज में 16 लोगों को, दिनाजपुर में दो लोगों को, चपैनवाबगंज में 17 लोगों को, ठाकुरगाँव में 19 लोगों को, पंचगढ़ में 32 लोगों को, लालमोनिरहाट में 75 लोगों को, चुआडांगा में 19 लोगों को,
झेनैदाह में 42 लोगों को, कुमिला में 13 लोगों को, फेनी में 39 लोगों को, सतखीरा में 23 लोगों को और मेहरपुर में 30 लोगों को सीमा पार कर भेजा गया है।
ऑपरेशन पुश बैक से किसे क्या समस्या?
डेली स्टार में प्रकाशित खबर में बांग्लादेशियों व रोहिग्यांओं को वापस भेजे जाने की रिपोर्ट को इस तरह प्रकाशित किया गया है, जैसे उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा हो।
जिस ऑपरेशन पुश बैक के नाम पर मोदी सरकार को घेरने का प्रयास हो रहा है और ऐसे दिखाया जा रहा है जैसे इससे मानवाधिकार हनन हो रहा है।
वही मीडिया ये नहीं बता रहा है कि कैसे ये बांग्लादेशी भारत में चोरी-छिपे अवैध रूप से घुसे और उसके पास इन्होंने फर्जी आधार कार्ड, पहचान पत्र बनवा कर यहाँ सालों तक रहते रहे। भारत सरकार के ऑपरेशन ‘पुश-बैक’ से बांग्लादेशी सेना के पसीने छूट रहे हैं।
जानें क्या है ऑपरेशन पुश बैक?
ऑपरेशन ‘पुश-बैक’ भारत सरकार की एक नई रणनीति है, जिसका उद्देश्य पूर्वी सीमा पर पकड़े जाने वाले बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं से त्वरित रूप से निपटना है। ये वे लोग हैं जो कई वर्षों से अवैध रूप से भारत में रह रहे हैं।
इस ऑपरेशन के तहत अब उस पारंपरिक प्रक्रिया जैसे पुलिस को सौंपना, एफआईआर दर्ज करना, अदालत में पेश करना, मुकदमा चलाना और फिर निर्वासन प्रोटोकॉल के तहत वापस भेजना को किनारे कर दिया गया है।
अब भारतीय सुरक्षाबल घुसपैठियों को तुरंत सीमा पार बांग्लादेश की ओर धकेल रहे हैं। यह इसलिए हो रहा है ताकि समय और संसाधनों की बचत हो और अवैध घुसपैठ पर तुरंत प्रभाव डाला जा सके।