Bangalore Stampede: रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) की 18 साल की लंबी प्रतीक्षा खत्म हुई जब उन्होंने पहली बार आईपीएल खिताब अपने नाम किया। इस ऐतिहासिक जीत के बाद बंगलूरू शहर में जश्न का माहौल बन गया। हजारों की संख्या में लोग अपने चहेते खिलाड़ियों को बधाई देने और जीत का हिस्सा बनने के लिए सड़कों पर उतर आए।
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Bangalore Stampede: 11 लोगों की गई जान
टीम के सम्मान में आयोजित विजय जुलूस और समारोह ने एक बड़े उत्सव का रूप ले लिया, लेकिन यह जश्न तब दर्दनाक घटना में बदल गया, जब चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ में भगदड़ मच गई, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए।
इस घटना ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया है और राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हादसे के बाद विपक्षी दल भाजपा ने कांग्रेस सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाया।
भाजपा नेताओं ने दावा किया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच राजनीतिक तनातनी और आपसी समन्वय की कमी के चलते जरूरी इंतजाम नहीं हो पाए और यह भयावह हादसा हो गया।
सरकार ने RCB को नहीं बुलाया
कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ. जी. परमेश्वर ने मीडिया से बातचीत में अपनी सरकार की जिम्मेदारी से इनकार किया। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार ने इस कार्यक्रम का कोई आयोजन नहीं किया था, न ही आरसीबी टीम को बुलाया गया था।
वे खुद ही यहां आए और कर्नाटक क्रिकेट संघ (KCA) ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया।” गृह मंत्री ने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घटना की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दे दिए हैं और रिपोर्ट आने के बाद यदि किसी की गलती पाई गई, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
स्टेडियम के बाहर 2 से 3 लाख लोग
राज्य के एक अन्य मंत्री प्रियांक खरगे ने हादसे को दुखद बताया और कहा कि “हां, गलती हुई है। बेहतर योजना और समन्वय होता, तो इस हादसे से बचा जा सकता था। स्टेडियम की क्षमता 35,000 लोगों की है,
लेकिन वहां 2-3 लाख लोग सड़कों पर जमा हो गए। हमने अपनी तरफ से हरसंभव कोशिश की, लेकिन भीड़ नियंत्रण से बाहर हो गई। मुख्यमंत्री ने नैतिक जिम्मेदारी ली है और भविष्य में सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।”
अब सरकार की अग्निपरीक्षा
इस घटना ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जब कोई आयोजन जनता के लिए हो, खासकर इतने बड़े स्तर पर, तो उसके लिए प्रशासनिक तैयारी कितनी अहम होती है। आरसीबी की जीत का जश्न एक गौरवपूर्ण पल होना चाहिए था,
लेकिन अफसोस की बात यह है कि यह खुशी मातम में तब्दील हो गई। अब सरकार की अग्निपरीक्षा है कि वह जांच को निष्पक्ष रूप से अंजाम दे और दोषियों पर कार्रवाई कर पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाए।
साथ ही, यह भी जरूरी है कि भविष्य में ऐसे आयोजनों की पूरी प्लानिंग, सुरक्षा और आपातकालीन व्यवस्थाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए ताकि ऐसा त्रासदी दोबारा न हो।
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