Asia cup: क्रिकेट एशिया कप 2025 को लेकर विवाद गरमा गया है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान को एक ही ग्रुप में रखा गया है और इन दोनों देशों के बीच 14 सितंबर को टक्कर तय है। देश के मौजूदा हालात और हालिया सैन्य कार्रवाइयों के मद्देनज़र,
भारतीय फैंस का एक बड़ा वर्ग इस मुकाबले को लेकर नाराज़ है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर तीखी बहस चल रही है। वहीं, कई पूर्व क्रिकेटर भी इस मुद्दे पर अपनी बेबाक राय दे चुके हैं।
Table of Contents
Asia cup: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ
भारत और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक और सैन्य तनाव का ताज़ा अध्याय अप्रैल में तब जुड़ा जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में भारतीय जवानों की शहादत हुई और जांच में हमलावरों के तार पाकिस्तान से जुड़ते पाए गए।
इसके बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की, और पाकिस्तानी ड्रोन भारत में घुसपैठ की कोशिश करते दिखे जिन्हें सेना ने मार गिराया।
एशिया कप का आधिकारिक शेड्यूल जारी
इस घटना के बाद देशभर में पाकिस्तान के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा और सोशल मीडिया पर यह मांग तेज़ हो गई कि भारत को पाकिस्तान के साथ किसी भी स्तर पर कोई संपर्क नहीं रखना चाहिए न क्रिकेट, न कल्चर, न डिप्लोमेसी।
इसी बीच भारत सरकार ने पाकिस्तान के कई पूर्व क्रिकेटरों के यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया अकाउंट्स को देश में बैन कर दिया। हालांकि, इन तमाम घटनाओं के बावजूद एशिया कप का आधिकारिक शेड्यूल जारी हो गया और इसमें साफ कर दिया गया।
भारत और पाकिस्तान न सिर्फ एक ही ग्रुप में हैं, बल्कि 14 सितंबर को इनका मुकाबला भी तय है। इससे कई भारतीय फैंस भड़क उठे और सोशल मीडिया पर “No Cricket With Pakistan” जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
क्रिकेटरों के बयान आये सामने
इस बीच टीम इंडिया के हेड कोच और पूर्व क्रिकेटर गौतम गंभीर का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें वह कहते नजर आ रहे हैं, “मेरे अनुसार जब तक आतंकवाद खत्म नहीं होता, भारत को पाकिस्तान से किसी भी तरह का क्रिकेट या सांस्कृतिक संबंध नहीं रखना चाहिए।
कोई भी खेल, फिल्म, या कलाकार हमारे जवानों की कुर्बानी से बड़ा नहीं हो सकता।” उन्होंने साफ किया कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है, जबकि निर्णय सरकार और बोर्ड को लेना है।
दूसरी ओर भारत के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली का एक संतुलित रुख सामने आया है। उन्होंने कहा, “मेरे अनुसार खेल चलते रहना चाहिए। जो भी पहलगाम में हुआ, वो नहीं होना चाहिए।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि खेल रुक जाए। क्रिकेट और आतंकवाद अलग-अलग चीजें हैं।”
14 सिंतबर को खेला जाएगा मैच
इस पर मोहम्मद अजहरुद्दीन ने कुछ अलग राय रखी। उन्होंने कहा “अगर आप द्विपक्षीय सीरीज में नहीं खेल रहे हैं, तो किसी भी अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट में भी नहीं खेलना चाहिए। आधे-अधूरे रिश्तों का कोई मतलब नहीं होता। या तो पूरी तरह खेलो, या बिल्कुल मत खेलो। फैसला सरकार और बोर्ड को लेना है।”
अब एशिया कप के फॉर्मेट की बात करें तो भारत और पाकिस्तान के बीच 14 सितंबर को एक लीग मैच होना तय है। इसके बाद ‘सुपर-4’ चरण में दोनों के फिर से आमने-सामने होने की संभावना है, क्योंकि अपने-अपने ग्रुप में ये सबसे मजबूत टीमें मानी जा रही हैं।
यदि दोनों टीमें फाइनल में पहुंचती हैं, तो सितंबर में ये तीसरी बार भिड़ेंगी यानी एक ही महीने में भारत-पाक के बीच तीन मुकाबले हो सकते हैं।
देश के मौजूदा माहौल को देखते हुए फैंस और जानकार इस पर सवाल उठा रहे हैं कि क्या ऐसे हालात में भारत को पाकिस्तान के खिलाफ मैदान में उतरना चाहिए? बोर्ड और सरकार पर अब यह दबाव है कि वह खेल भावना और राष्ट्र भावना दोनों के बीच संतुलन बनाए रखें।
एशिया कप अब सिर्फ एक टूर्नामेंट नहीं रह गया, यह भारत-पाक संबंधों की अग्निपरीक्षा भी बनता जा रहा है। मैदान पर भले ही क्रिकेट खेला जाएगा, लेकिन मैदान के बाहर यह लड़ाई भावनाओं और विचारधाराओं की बन चुकी है।