Animal Healing Process: जब इंसान बीमार होता है, तो डॉक्टर, दवाएं और जांच उसकी ज़रूरत बन जाती हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जंगलों में रहने वाले जानवर कैसे ठीक होते हैं, जहां न अस्पताल होते हैं और न ही दवाइयां?
दरअसल, जानवरों के पास एक प्राकृतिक समझ होती है, जिससे वे अपनी बीमारी पहचान कर उसका इलाज खुद ही ढूंढ लेते हैं।
विशेषज्ञों के मुताबिक जानवरों के पास एक ‘इकोलॉजिकल इंटेलिजेंस’ होती है, जिससे वे खास पेड़-पौधों, मिट्टी या रेस्टिंग से खुद को ठीक कर लेते हैं।
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Animal Healing Process: जानवर खुद बनते हैं डॉक्टर
Animal Healing Process: जानवरों में बीमारी के समय खास तरह का व्यवहार देखने को मिलता है।
जैसे अफ्रीका के बंदर बीमार होने पर कड़वी पत्तियां खाते हैं जो सामान्यतः उनके भोजन का हिस्सा नहीं होतीं।
इन पत्तियों में एंटी-पैरासिटिक गुण होते हैं जो उन्हें संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं।
इसी तरह पालतू कुत्ते घास खाते हैं और उल्टी कर देते हैं।
ये एक तरह की बॉडी डिटॉक्स प्रक्रिया होती है जो पेट की गड़बड़ियों से राहत दिलाती है।
मिट्टी, धूल और लार, जानवरों के प्राकृतिक औषधि
Animal Healing Process: हाथी जब पेट में परेशानी महसूस करते हैं तो वे खास प्रकार की मिट्टी खाते हैं जिसमें जरूरी खनिज होते हैं।
इसे Geophagy कहा जाता है, जो पाचन सुधारने में मदद करता है।
वहीं बिल्लियां बार-बार अपने शरीर को चाटती हैं। ये सिर्फ सफाई नहीं, बल्कि शरीर पर मौजूद कीटाणुओं को हटाने की प्रक्रिया है।
पक्षी जैसे गौरैया और कबूतर रेत में लोटते हैं जिसे डस्ट बाथ कहा जाता है, जिससे वे अपने शरीर से परजीवियों को दूर रखते हैं।
प्रकृति से सीखने की ज़रूरत है इंसानों को भी
Animal Healing Process: जानवरों की यह स्वाभाविक इलाज प्रणाली दिखाती है कि प्रकृति में हर सवाल का जवाब छिपा है।
जरूरत है तो बस समझने और अपनाने की। बिना डॉक्टर या दवा के जानवर अपने शरीर के संकेतों को पहचानते हैं और प्राकृतिक उपायों से खुद को स्वस्थ रखते हैं।
हमें भी इस प्राकृतिक बुद्धिमत्ता से सीख लेनी चाहिए और प्रकृति के करीब रहकर अपनी जीवनशैली को संतुलित बनाना चाहिए।