Sunday, July 20, 2025

आगरा में धर्मांतरण रैकेट के बहुराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश, PFI, पाक और ISIS से कनेक्शन: यूपी पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ में 6 राज्यों से 10 आरोपी दबोचे

उत्तर प्रदेश पुलिस ने ‘ऑपरेशन अस्मिता’ के तहत देशव्यापी धर्मांतरण नेटवर्क का भंडाफोड़ किया है, जिसकी कार्यप्रणाली आतंकी संगठन ISIS से प्रेरित बताई गई है।

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इस नेटवर्क में लव जिहाद, ब्रेनवॉशिंग, विदेशी फंडिंग और स्लीपर सेल जैसे गंभीर अपराधों के संकेत मिले हैं। पुलिस ने इस गिरोह के 10 सदस्यों को 6 राज्यों से गिरफ्तार किया है।

यह ऑपरेशन तब शुरू हुआ जब आगरा में दो बहनों के गायब होने की घटना की गहराई से जाँच की गई। पुलिस को जो सुराग मिले, वे सीधे PFI, SDPI और पाकिस्तान से संचालित आतंकी नेटवर्क तक जा पहुँचे। नेटवर्क के तार कनाडा, अमेरिका और यूएई से हो रही फंडिंग से भी जुड़े हैं।

दो बहनों की गुमशुदगी बनी धर्मांतरण गिरोह के खुलासे की वजह

मार्च 2025 में आगरा के सदर बाजार थाने में 33 और 18 वर्षीय दो बहनों के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज हुई थी। प्रारंभ में मामला सामान्य गुमशुदगी का माना गया, लेकिन बाद में जांच बीएनएस की धारा 87, 111(3), 111(4) और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 के तहत अपहरण और अवैध धर्मांतरण में बदल दिया गया।

बहनों के सोशल मीडिया पर गायब होने और फोन न ले जाने जैसे बिंदुओं ने पुलिस को सतर्क किया। जाँच को साइबर सेल को सौंपा गया, जहाँ से ‘कनेक्टिंग रिवर्ट’ नामक इंस्टाग्राम आईडी सामने आई, जो कोलकाता से सक्रिय पाई गई।

महिला पुलिसकर्मी ने फर्जी प्रोफाइल से इस आईडी पर संपर्क कर खुद धर्मांतरण की इच्छा जताई और वहीं से जाल का धागा खुलने लगा।

ISIS शैली में ऑपरेशन, हर सदस्य की थी अलग भूमिका

जाँच में खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क ISIS की तर्ज पर काम करता था। इसमें अलग-अलग सदस्य विशेष भूमिकाएँ निभाते थे, जैसे प्रेमजाल में फँसाकर धर्मांतरण के लिए उकसाना, दस्तावेज़ तैयार कराना, कट्टरता भरना, विदेशों से प्राप्त फंड को सिस्टमैटिक रूप से चैनलाइज करना, छिपने के लिए सेफ हाउस देना, कानूनी सलाह देना, मोबाइल और सिम का प्रबंध करना आदि।

यह कार्यप्रणाली आतंकवाद की जानी-पहचानी रणनीति से मेल खाती थी और इसका उद्देश्य था युवतियों को बरगलाकर उनकी पहचान बदलना तथा उन्हें जिहादी सोच में शामिल करना।

‘ऑपरेशन अस्मिता’: 11 टीमों की देशव्यापी छापेमारी

घटना की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी और एडीजी (कानून व्यवस्था) के निर्देश पर 11 पुलिस टीमें गठित की गईं। ये टीमें यूपी, दिल्ली, राजस्थान, गोवा, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड भेजी गईं। कोलकाता में बहनों की मौजूदगी की पुष्टि पर चार टीमों को विशेष रूप से वहाँ भेजा गया।

चार दिनों की सतत कार्रवाई के बाद बहनों को सकुशल बरामद किया गया और गिरोह के सक्रिय सदस्य भी पकड़े गए। गिरफ्तार लोगों में कोई गोवा में था तो कोई दिल्ली में, किसी के नाम हिंदू जैसे थे तो असल में वे मुस्लिम नेटवर्क के सदस्य निकले।

गिरफ्तार आरोपितों की सूची

  1. आयशा उर्फ एस.बी. कृष्णा – गोवा
  2. अली हसन उर्फ शेखर रॉय – कोलकाता
  3. ओसामा – कोलकाता
  4. रहमान कुरैशी – आगरा
  5. अब्बू तालिब – खालापार, मुजफ्फरनगर
  6. अबुर रहमान – देहरादून
  7. मोहम्मद अली – जयपुर
  8. जुनैद कुरैशी – जयपुर
  9. मुस्तफा उर्फ मनोज – दिल्ली
  10. मोहम्मद अली – जयपुर

गिरफ्तार किए गए सभी आरोपितों पर यूपी विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन अधिनियम, बीएनएस और गैर-जमानती धाराओं के अंतर्गत मुकदमे दर्ज किए गए हैं।

कनाडा-अमेरिका-UAE से मिलती थी फंडिंग, कोडवर्ड्स से होता था संपर्क

पुलिस के अनुसार, गिरोह को विदेशों से भारी आर्थिक मदद मिल रही थी। खासतौर पर कनाडा, अमेरिका और यूएई से। यह पैसा हवाला या फर्जी एनजीओ के जरिए भारत पहुँचता और नेटवर्क में बाँटा जाता था।

गिरोह इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर कोडवर्ड्स और धार्मिक आड़ में युवाओं से संपर्क करता था। पीड़ित युवतियों को मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़कर उनसे इस्लाम कबूल करवाया जाता, फिर शादी और कट्टर धार्मिक प्रशिक्षण की दिशा में धकेला जाता।

छांगुर उर्फ जलालुद्दीन गिरोह से ज्यादा खतरनाक

पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह गिरोह बलरामपुर के चर्चित छांगुर गिरोह से भी ज्यादा खतरनाक था। छांगुर ने जहां सीमित स्तर पर कार्य किया, वहीं आगरा का यह नेटवर्क पूरे उत्तर भारत में फैला हुआ था, जिसमें आईटी का दुरुपयोग और विदेशी नेटवर्क का सक्रिय सहयोग भी शामिल था।

गिरोह के लोग नाम बदलकर आरएसएस कार्यकर्ता, हिन्दू संगठन सदस्य या सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में पेश आते थे, जिससे भरोसा बनाकर युवतियों को फँसाया जाता था।

मामले पर पुलिस का बयान और अगली रणनीति

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस नेटवर्क की जड़ें गहरी हैं और कई अन्य सदस्य अब भी सक्रिय हो सकते हैं। इसलिए ‘ऑपरेशन अस्मिता’ का अगला चरण और व्यापक स्तर पर शुरू किया जाएगा। एटीएस और एसटीएफ की टीमें लगातार इलेक्ट्रॉनिक और फाइनेंशियल ट्रेल की जाँच कर रही हैं।

पुलिस यह सुनिश्चित करना चाहती है कि किसी भी स्लीपर सेल या धर्मांतरण एजेंट को देशभर में सक्रिय न होने दिया जाए। इसके लिए फेक प्रोफाइल्स, सोशल मीडिया ग्रुप्स, धर्म प्रचार करने वाली NGOs, इंस्टाग्राम IDs आदि की मॉनिटरिंग की जा रही है।

निष्कर्ष: छद्म धर्मांतरण की जड़ें देश की अखंडता पर हमला

इस पूरे प्रकरण ने यह स्पष्ट कर दिया है कि छद्म धर्मांतरण सिर्फ धार्मिक विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बन चुका है। ISIS स्टाइल नेटवर्क, फंडिंग और तकनीकी दक्षता के साथ यह गिरोह अब तक भारत में अपनी जड़ें जमा चुका था।

उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा समय रहते किया गया यह भंडाफोड़ देश के लिए चेतावनी भी है और मार्गदर्शन भी कि कट्टरता, छल और धार्मिक आक्रमण से लड़ने के लिए सशक्त और सतर्क तंत्र की आवश्यकता सर्वोपरि है।

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