Don’t Make AI Your Best Friend: मुंबई में एक 14 वर्षीय लड़के को पेट दर्द की शिकायत पर परिजनों ने आपातकालीन अस्पताल में भर्ती कराया।
तमाम मेडिकल जांचों के बावजूद कोई शारीरिक बीमारी नहीं मिली।
तब खुलासा हुआ कि बच्चे ने पहले AI चैटबॉट से लक्षण बताकर सलाह ली थी, और चैटबॉट ने उसे गैस्ट्रो की समस्या बताते हुए तुरंत अस्पताल जाने की बात कही।
बाद में डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि असल में वह बच्चा गंभीर एंग्जायटी अटैक से जूझ रहा था, जो स्कूल में बुलिंग और मानसिक दबाव का नतीजा था।
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AI चैटबॉट्स कर रहे गलत डायग्नोसिस
Don’t Make AI Your Best Friend: एक्सपर्ट्स का कहना है कि हाल के महीनों में ऐसे कई केस सामने आए हैं, जहां लोगों ने मानसिक स्वास्थ्य संबंधी लक्षणों के लिए AI से सलाह ली और स्थिति और बिगड़ गई।
AI भले ही बातचीत कर सकता है, लेकिन वह मरीज के हावभाव, भावनात्मक संकेत और संदर्भ नहीं समझ सकता।
इसी वजह से वह कई बार गलत अनुमान लगाता है, जो मानसिक रूप से पहले से कमजोर व्यक्ति के लिए खतरनाक हो सकता है।
AI देता है सलाह, लेकिन जिम्मेदारी कौन लेगा?
Don’t Make AI Your Best Friend: आज के समय में बहुत से लोग AI चैटबॉट्स को निजी और गैर-आलोचनात्मक मंच मानकर मानसिक तनाव साझा करते हैं।
लेकिन विशेषज्ञों की चेतावनी है कि ये चैटबॉट्स कभी भी प्रोफेशनल थेरेपी का विकल्प नहीं हो सकते।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, AI गंभीर मानसिक समस्याओं को पहचानने में असफल हो सकता है और कई बार खतरनाक सलाह भी दे सकता है।
सीमित उपयोग करें, अंधे विश्वास से बचें
Don’t Make AI Your Best Friend: अमेरिका में हुए एक सर्वे से पता चला कि लगभग 50% AI यूजर्स वास्तव में भावनात्मक काउंसलिंग चाहते हैं, लेकिन AI केवल एक औजार है। वह न संवेदना समझता है, न ही नैतिक ज़िम्मेदारी निभा सकता है।
ग्रामीण या रिसोर्स-डिफिसिट क्षेत्रों में AI एक शुरुआती सहयोगी हो सकता है, लेकिन यह अंतिम समाधान नहीं है।
तकनीक साथ दे सकती है, इलाज नहीं कर सकती
Don’t Make AI Your Best Friend: AI आधारित टूल्स का उपयोग पॉजिटिव सपोर्ट, मूड ट्रैकिंग और शुरुआती जानकारी के लिए किया जा सकता है।
लेकिन मानव काउंसलर की समझ, सहानुभूति और अनुभव AI नहीं दे सकता।
इसलिए जरूरी है कि लोग AI का इस्तेमाल सोच-समझकर करें और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी गंभीर समस्याओं में केवल प्रशिक्षित और प्रमाणित पेशेवरों से ही सलाह लें।
Don’t Make AI Your Best Friend: AI हमारी दुनिया का अहम हिस्सा बनता जा रहा है, लेकिन जब बात मानसिक स्वास्थ्य की हो, तो इंसानी समझ और संवेदनशीलता की कोई तकनीकी जगह नहीं ले सकती।
सावधानी से उपयोग करें, और जरूरत पड़े तो चैटबॉट नहीं, एक इंसान से बात करें।