Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में श्रीलंकाई तमिल नागरिक सुभास्करण को भारत में रहने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने साफ शब्दों में कहा कि “भारत कोई धर्मशाला नहीं है, जहां किसी को भी रहने दिया जाए”। सुभास्करण ने भारत में शरण की गुहार लगाई थी।
कौन है सुभास्करण?
Supreme Court: सुभास्करण उर्फ जीवन उर्फ राजा उर्फ प्रभा, श्रीलंका का एक तमिल नागरिक है, जो 2009 के श्रीलंकाई गृहयुद्ध के दौरान लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE) का सदस्य था। 2015 में उसे तमिलनाडु पुलिस ने शक के आधार पर गिरफ्तार किया था। जांच में पता चला कि वह अवैध रूप से भारत में प्रवेश कर चुका था।
अवैध घुसपैठ पर सुभास्करण को सुनाई थी सजा
निचली अदालत ने सुभास्करण को UAPA (गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून) के तहत दोषी करार देते हुए 10 साल की सजा सुनाई थी। 2022 में हाई कोर्ट ने उसकी सजा को घटाकर 7 साल कर दिया, लेकिन यह साफ कर दिया कि सजा पूरी होने के बाद उसे भारत छोड़कर श्रीलंका वापस जाना होगा।
श्रीलंका लौटने पर होगा उत्पीड़न, भारत में शरण लेने की मांग की
Supreme Court: सुभास्करण ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दलील दी कि अगर वह श्रीलंका वापस गया, तो उसे गिरफ्तार कर यातनाएं दी जाएंगी। उसने यह भी कहा कि उसकी पत्नी और बेटा भारत में ही रहते हैं और दोनों गंभीर रूप से बीमार हैं, इसलिए उसे भारत में ही रहने की अनुमति दी जाए।
“भारत में बसने का अधिकार सिर्फ भारतीयों को”, बोला सुप्रीम कोर्ट
Supreme Court: जस्टिस दीपंकर दत्ता और जस्टिस के सुभाष चंद्र की पीठ ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि भारत में बसने का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को है, न कि विदेशी नागरिकों को।
कोर्ट ने कहा कि पहले से ही देश की जनसंख्या 140 करोड़ से अधिक हो चुकी है और भारत हर किसी को शरण नहीं दे सकता। कोर्ट ने कहा कि “भारत कोई धर्मशाला नहीं है जहां किसी को भी आकर बसने दिया जाए। देश के संसाधन सीमित हैं और हर किसी को शरण देना संभव नहीं है।”
सजा पूरी होते ही भारत छोड़ने के आदेश
Supreme Court: कोर्ट ने साफ किया कि जैसे ही सुभास्करण की सजा पूरी होती है, उसे तुरंत श्रीलंका वापस भेज दिया जाएगा। इस फैसले ने भविष्य में शरण की मांग करने वाले विदेशी नागरिकों के लिए एक कड़ा संदेश दिया है कि भारत की संवैधानिक सुरक्षा और जनसंख्या संतुलन सर्वोपरि है।