Mahakumbh 2025 Kalpwas: महाकुंभ और कल्पवास दोनों का एक अनोखा रिश्ता है। कहा जाता है कि जिसने कुंभ में कल्पवास का निर्वाहन कर लिया, उसे श्रीहरि की साक्षात कृपा मिल गयी। लेकिन क्या आपको पता है कि ये कल्पवास आखिर है क्या। आइये जानते हैं।
Mahakumbh 2025: पौष पूर्णिमा (Pausha Purnima 2025) सोमवार, 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत होने जा रही है। ये मेला पूरी दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है और 50 करोड़ लोगों की व्यवस्था करना सरकार के लिए अपने आप में ही एक बड़ी बात है। इस मेले में पूरी दुनिया से साधू-संत, और भक्त आते हैं, और पवित्र त्रिवेणी संगम में स्नान करते हैं। इस स्नान को हिन्दू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना गया है।
लेकिन क्या आपको पता है इस ही महाकुंभ के दौरान कई लोग (Kalpwas) कल्पवास के नियमों का भी निर्वाहन करते हैं। ऐसा माना जाता है कि कल्पवास के सारे नियम जो भी निष्ठापूर्वक पूर्ण करता है उस पर स्वयं भवन विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
पुराणों की माने तो कल्पवास कभी भी किया जा सकता है। लेकिन महाकुंभ और माघ मास में कल्पवास का बहुत महत्व होता है। कल्पवास को शुद्धि और आत्मिक विकास का मार्ग बताया गया है। आइये जानते हैं कि कल्पवास क्या है और इसके नियम, लाभ और महत्व क्या है।
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क्या है कल्पवास (Kalpwas)?
Mahakumbh 2025: कल्पवास को आप आध्यात्मिक विकास का साधन भी कह सकते हैं। इसको लेकर कर शास्त्रकार बताते हैं कि, कल्पवास का मतलब होता है पूरे महीने संगम तट पर रहकर वेदाध्ययन, ध्यान, पूजा करना। कल्पवास के दौरान भक्तों को कठिन तपस्या और भगवत साधना करनी होती है। कल्पवास का समय पूर्ण रूप से प्रभु भक्ति में लीं होकर निकालना होता है। और इस महाकुम्भ के दौरान कल्पवास का महत्व हजार गुना बढ़ जाता है।
Mahakumbh 2025: महाकुंभ के लिए इस साल कल्पवास के नियमों का पालन पौष महीने के 11वें दिन से लेकर माघ महीने से 12वें दिन तक होगा। ऐसी मान्यता सूर्य देव जब धनु राशि से निकलकर मकर राशि की और बढ़ते हैं तब एक माह के कल्पवास का ठीक वैसा ही पुण्य फल मिलता है, जो कल्प में ब्रह्म देव के एक दिन के बराबर होता है। इसलिए कई लोग इसे (Makar Sankranti 2025) मकर संक्रांति के दिन से भी शुरू करते हैं। पूरे माघ महीने में संगम पर निवास कर तप, साधना, पूजन, अनुष्ठान को ही कल्पवास के नाम से जाना जाता है।
महाकुम्भ के दिन से होगी 2025 के कल्पवास की शुरुआत
Mahakumbh 2025: इस साल 2025 में महाकुंभ के साथ ही कल्पवास की भी शुरुआत हो जाएगी। पौष पूर्णिमा के स्नान के साथ 13 जनवरी को महाकुंभ मेले की भव्य शुरुआत के साथ ही कल्पवास भी शुरू हो जायेगा। ये पूरे एक महीने तक चलता है। इस दौरान साशु-संत संगम तट पर रहते हुए कल्पवास के नियमों का निष्ठापूर्वक पाकरेंगे साथ सत्संग, ज्ञान, साधु महात्माओं की संगति के अवसर का लाभ उठाएंगे।
कल्पवास के नियम
Mahakumbh 2025: इसके लिए बहुत कठिन होते हैं। कल्पवास करने वाले भक्तों को पीले या श्वेत रंग का ही वस्त्र धारण करना होता है। इसकी सबसे कम अवधि एक रात होती है। साथ ही इसकी अवधि तीन रात, तीन महीने, छह महीने, छह साल, बारह साल या जीवनभर भी हो सकती है। पद्म पुराण में कल्पवास के 21 नियमों के पालन करने का कहा गया है। जो व्यक्ति 45 दिनों तक कल्पवास करता है, उन्हें इन पूरे 21 नियमों का पालन करना आवश्यक है। आइये कल्पवास के 21 नियम जानते हैं।
साधू-सन्यासियों की सेवा, जप और कीर्तन, ब्रह्म मुहूर्त में जागना, अपनी इन्द्रियों पर नियंत्रण रखना, सत्यवचन, अहिंसा, ब्रह्मचर्य का निर्वाहन करना, सभी प्राणियों पर दया भाव रखना, नियमित तीन बार पवित्र नदी में स्नान करना, पितरों के लिए पिंडदान, व्यसनों से दूर रहना, अंतर्मुखी जप, त्रिकाल संध्या का ध्यान करना, दान, सत्संग, संकल्पित क्षेत्र से बाहर न जाना, किसी की निंदा ना करना, एक समय भोजन ग्रहण करना, भूमि पर सोना, अग्नि सेवन न करना, देव पूजन करना. कल्पवास के इन 21 नियमों में से सबसे महत्वपूर्ण ब्रह्मचर्य, व्रत, उपवास, देव पूजन, सत्संग और दान बताया गया है।
कल्पवास करने से क्या होता है ( What are the benefits of Kalpwas)
कल्पवास के नियमों का पालन करने वाले को भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का आशीर्वाद मिलता है। इससे उसके जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और सकारात्मकता आती है।
महाभारत में ऐसा माना गया है कि माघ महीने में किया गया कल्पवास उतना ही पुण्य होता है, जितना कि 100 वर्षों तक बिना अन्न ग्रहण किए तप करना।
जो इंसान श्रद्धा और निष्ठापूर्वक कल्पवास के नियमों का निर्वाहन करता है, उसे इच्छित फल की प्राप्ति होने के साथ ही जान-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति मिलती है।