असम में अवैध घुसपैठ के खिलाफ सरकार ने अपना रुख और सख्त कर लिया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में चल रहे ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ के तहत हाल ही में 8 बांग्लादेशी घुसपैठियों को सीमा पार वापस भेज दिया गया। इसकी जानकारी खुद मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर तस्वीरें साझा करते हुए दी।
मुख्यमंत्री का तंज, मेहमाननवाज़ी को कमजोरी समझ लिया?
असम: सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने अपनी पोस्ट में साफ शब्दों में कहा कि कुछ लोग भारत की सांस्कृतिक भावना ‘अतिथि देवो भवः’ को गलत अर्थों में ले बैठे हैं।
उन्होंने लिखा कि भारत मेहमानों का सम्मान करता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि देश की सीमाओं और कानूनों का मज़ाक बनाया जाए।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि असम सरकार जानती है कि कब सहनशीलता दिखानी है और कब सख्ती से कार्रवाई करनी है।
क्या है ‘ऑपरेशन पुश-बैक’?
असम: ‘ऑपरेशन पुश-बैक’ केंद्र और राज्य सरकारों की एक नई रणनीति है, जिसे अप्रैल 2025 से ज़मीन पर लागू किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्या मुस्लिमों की अवैध घुसपैठ को तुरंत रोकना है।
इस नीति के तहत अब घुसपैठियों को पकड़कर लंबी कानूनी प्रक्रिया में उलझाने की बजाय, सीमा पर ही वापस भेजने की कार्रवाई की जा रही है।
अब नहीं चलेगी सालों तक कानूनी लड़ाई
असम: मुख्यमंत्री सरमा के मुताबिक, पहले अवैध घुसपैठियों को गिरफ्तार कर थाने ले जाया जाता था, FIR दर्ज होती थी, कोर्ट में पेशी होती थी और मामला सालों तक चलता रहता था।
हर साल औसतन 1,000 से 1,500 विदेशी इस प्रक्रिया में जेलों में रहते थे। लेकिन नई नीति के तहत सरकार ने फैसला किया है कि घुसपैठियों को देश के भीतर ही नहीं आने दिया जाएगा।
हर साल 5,000 घुसपैठ की कोशिशें, अब लगेगी लगाम
असम: सीएम हिमंता पहले ही खुलासा कर चुके हैं कि हर साल करीब 5,000 लोग अवैध रूप से भारत में घुसने की कोशिश करते हैं।
‘पुश-बैक’ नीति लागू होने के बाद सरकार को उम्मीद है कि इस संख्या में भारी गिरावट आएगी और सीमा सुरक्षा पहले से कहीं ज्यादा प्रभावी होगी।
1950 के कानून के तहत नया SOP, प्रशासन को सीधे अधिकार
असम सरकार ने अवैध घुसपैठ के खिलाफ 1950 के कानून के तहत एक नया स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) लागू किया है। इसके तहत अब प्रशासन को सीधे कार्रवाई करने का अधिकार मिल गया है।
संदिग्ध व्यक्ति को अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए केवल 10 दिन दिए जाएंगे।
24 घंटे में निष्कासन, ट्रिब्यूनल की जरूरत खत्म
असम: अगर तय समय में दस्तावेज पेश नहीं किए गए, तो जिला प्रशासन 24 घंटे के भीतर डिपोर्टेशन या निष्कासन का आदेश दे सकता है।
अब इसके लिए विदेशी न्यायाधिकरणों की लंबी और जटिल प्रक्रिया जरूरी नहीं होगी, जिससे कार्रवाई पहले से कहीं ज्यादा तेज़ हो गई है।
सीमा पर पकड़े गए तो 12 घंटे में वापसी
असम: सरकार ने यह भी साफ किया है कि सीमा पार करते हुए पकड़े गए घुसपैठियों को 12 घंटे के भीतर ही बांग्लादेश वापस भेजा जा सकता है।
साथ ही, सभी चिन्हित लोगों का बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय डेटा दर्ज किया जाएगा ताकि भविष्य में दोबारा घुसपैठ रोकी जा सके।
सांस्कृतिक पहचान और जनसांख्यिकी बचाने की लड़ाई
असम सरकार का कहना है कि यह पूरी कार्रवाई राज्य की सांस्कृतिक पहचान और जनसांख्यिकीय संतुलन को बचाने के लिए जरूरी है।
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा के नेतृत्व में सरकार ने साफ संकेत दे दिया है कि अवैध घुसपैठ के मुद्दे पर अब कोई नरमी नहीं बरती जाएगी, चाहे इसके लिए कितनी ही सख्त नीति क्यों न अपनानी पड़े।

