Sunday, April 13, 2025

26/11 Mumbai Attack: मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा भारत की गिरफ्त में, तिहाड़ में हाई-सिक्योरिटी में बंद

भारत लाया गया तहव्वुर राणा, कोर्ट ने 18 दिन की रिमांड दी

26/11 Mumbai Attack: 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर भारत लाया गया है। सालों से चली आ रही कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की तीन सदस्यीय टीम उसे दिल्ली लेकर पहुंची। दिल्ली की कोर्ट ने उसे 18 दिन की NIA रिमांड पर भेज दिया है। फिलहाल उसे तिहाड़ जेल की हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है।

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पूछताछ में लश्कर और ISI से जुड़े बड़े खुलासों की उम्मीद

26/11 Mumbai Attack: NIA की जांच टीम अब तहव्वुर राणा से लश्कर-ए-तैयबा, ISI और भारत में मौजूद आतंकवादी नेटवर्क को लेकर गहन पूछताछ करेगी। राणा पर आरोप है कि उसने अमेरिका में बैठकर मुंबई हमले की साजिश रची थी और आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट दिया था।

पाकिस्तान ने झाड़ा पल्ला, बताया ‘कनाडाई नागरिक’

26/11 Mumbai Attack: भारत के इस कदम के बाद पाकिस्तान ने खुद को इस पूरे मामले से अलग कर लिया है। पाकिस्तान का कहना है कि तहव्वुर राणा का जन्म भले ही पाकिस्तान में हुआ हो, लेकिन उसने अपने नागरिकता दस्तावेजों का नवीनीकरण नहीं कराया है, इसलिए उसे अब पाकिस्तानी नागरिक नहीं माना जा सकता।

तीन जांबाज़ अफसरों की टीम ने संभाला ऑपरेशन

26/11 Mumbai Attack: इस ऑपरेशन को अंजाम देने वाली टीम में थे तीन जांबाज़ IPS अफसर — IG आशीष बत्रा, जिन्होंने झारखंड में नक्सल ऑपरेशनों में भी अहम भूमिका निभाई थी और जो अपनी रणनीतिक समझ के लिए जाने जाते हैं। DIG जया रॉय, जो जामताड़ा साइबर क्राइम केस में अपनी तेज़ कार्रवाई के लिए चर्चित हुई थीं। और SP प्रभात कुमार, जिन्होंने अमेरिका से प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लीड किया।

NIA चीफ सदानंद दाते के हाथों में जांच, जो 26/11 में खुद घायल हुए थे

अब इस हाई-प्रोफाइल केस की जांच NIA प्रमुख सदानंद दाते के जिम्मे है। 26/11 हमले के दौरान वे खुद आतंकियों से लड़ते हुए गंभीर रूप से घायल हुए थे। अब उन्हीं के हाथों इस हमले के मास्टरमाइंड की पूछताछ हो रही है।

राजनीतिक दलों में क्रेडिट की होड़

इस केस को लेकर बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही अपनी-अपनी भूमिका को उजागर करने में लगे हैं। एक ओर जहां देश को न्याय की ओर देखना चाहिए, वहीं राजनीतिक दल इस मौके पर भी सियासत करने से नहीं चूक रहे। सवाल यही है—क्या तहव्वुर राणा को न्याय मिलेगा या राजनीतिक बयानबाज़ी ही चर्चा में रहेगी?

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