Provident Fund: भारत में नौकरीपेशा लोगों के लिए भविष्य निधि (PF) खाता एक ज़रूरी बचत का साधन है।
इसमें कर्मचारी अपनी सैलरी का 12% जमा करता है और उतना ही योगदान कंपनी (नियोक्ता) की ओर से भी किया जाता है।
Provident Fund: यह रकम लंबे समय तक सुरक्षित रहती है और उस पर हर साल ब्याज मिलता है। यही वजह है कि पीएफ को रिटायरमेंट फंड माना जाता है।
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लोग क्यों निकाल लेते हैं PF का पैसा?
Provident Fund: नौकरी बदलने के बाद अक्सर लोग सोचते हैं कि पुराना PF अकाउंट बंद करके पैसा निकाल लेना ही बेहतर है।
कई बार अचानक कैश की ज़रूरत पड़ने पर भी लोग ऐसा कर लेते हैं।
हालांकि इससे तुरंत राहत तो मिलती है, लेकिन लंबे वक्त के हिसाब से यह फ़ैसला नुकसानदेह साबित हो सकता है।
कंपाउंडिंग ब्याज का टूट जाता है फायदा
Provident Fund: PF की सबसे बड़ी ताक़त है उस पर मिलने वाला कंपाउंडिंग ब्याज।
साल-दर-साल ब्याज जुड़ने से आपकी छोटी बचत भी बड़ी रकम में बदल जाती है।
लेकिन अगर आप हर बार नौकरी बदलते ही पैसा निकाल लेते हैं, तो यह कंपाउंडिंग चक्र टूट जाता है।
नतीजा यह होता है कि रिटायरमेंट तक आपके पास उतनी बड़ी राशि नहीं बन पाती, जितनी बन सकती थी।
टैक्स का भी पड़ता है असर
Provident Fund: अगर आपने PF में पाँच साल से कम समय तक योगदान किया है और बीच में पैसा निकाल लिया, तो उस पर टैक्स देना पड़ता है।
यानी आपकी जमा-पूंजी का एक हिस्सा सरकार की ओर चला जाएगा। इस तरह आपका भविष्य सुरक्षित करने वाला फंड तुरंत खर्च होकर घाटे का सौदा बन सकता है।
बेहतर विकल्प, ट्रांसफर कराएँ PF खाता
Provident Fund: आज के समय में PF ट्रांसफर करना बेहद आसान हो गया है।
यूनिवर्सल अकाउंट नंबर (UAN) पोर्टल के जरिए कुछ क्लिक में आप पुराने खाते को नए नियोक्ता के PF अकाउंट से लिंक कर सकते हैं।
इससे आपका बैलेंस और ब्याज लगातार जुड़ता रहेगा और रिटायरमेंट के समय आपके पास मोटी रकम तैयार होगी।
तुरंत ज़रूरत हो तो आंशिक निकासी करें
Provident Fund: अगर किसी कारणवश तुरंत पैसों की ज़रूरत है, तो PF से आंशिक निकासी (Partial Withdrawal) का विकल्प मौजूद है।
लेकिन पूरे खाते को खाली कर देना किसी भी दृष्टि से समझदारी नहीं है।
भविष्य की मजबूत योजना के लिए PF को लंबी अवधि तक चलने देना ही सबसे बेहतर उपाय है।