पुतिन डिनर विवाद: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में आयोजित डिनर को लेकर राजनीती गरमा गयी है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को इस राज्य समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया, जबकि कांग्रेस सांसद शशि थरूर को बुलाया गया है।
इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई, लेकिन अब बीजेपी और राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने इस फैसले के पीछे की वास्तविक वजह स्पष्ट कर दी है।
सूत्रों के अनुसार, किसी भी राज्य समारोह में बुलावा किसी पद का अधिकार नहीं होता, बल्कि यह पूरी तरह राष्ट्रपति भवन का विशेषाधिकार होता है।
राहुल गांधी की पिछली अनुपस्थितियां बनी आधार
पुतिन डिनर विवाद: राष्ट्रपति भवन की ओर से बताया गया है कि निमंत्रण देते समय यह देखा जाता है कि संबंधित व्यक्ति ने पहले राज्य समारोहों में उपस्थिति दर्ज कराई है या नहीं।
राहुल गांधी का रिकॉर्ड कई बड़े राष्ट्रीय कार्यक्रमों में अनुपस्थित रहने का रहा है।
वे 2025 के स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल नहीं हुए।
2025 के गणतंत्र दिवस समारोह से भी उन्होंने दूरी बनाई।
पुतिन डिनर विवाद: इसके अलावा वे उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के शपथ ग्रहण समारोह और नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में भी नहीं पहुंचे।
इन लगातार अनुपस्थितियों के कारण राष्ट्रपति भवन ने इस बार उन्हें पुतिन डिनर के लिए निमंत्रण नहीं भेजा।
शशि थरूर को बुलावा, राहुल-खड़गे को नहीं
पुतिन डिनर विवाद: डिनर के निमंत्रण को लेकर एक और सवाल उठाया जा रहा है कि जब कांग्रेस के ही वरिष्ठ सांसद शशि थरूर को बुलाया गया, तो राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को क्यों नहीं?
सूत्रों के अनुसार, निमंत्रण किसी पद की ताकत से नहीं, बल्कि कार्यक्रम में पहले की भागीदारी और व्यवहार के आधार पर तय होते हैं।
इसलिए विपक्ष के नेता होने के बावजूद राहुल गांधी को निमंत्रण नहीं मिला।
राष्ट्रपति भवन के मुताबिक, जब राष्ट्रपति किसी को व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित करते हैं तो इसका सम्मान करना जरूरी होता है और पिछली बारों में ऐसा सम्मान नहीं देखा गया।
भारत-रूस संबंधों को मजबूती देंगे 19 समझौते
पुतिन डिनर विवाद: इस पूरे विवाद के बीच भारत और रूस के बीच 19 महत्वपूर्ण समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए, जो द्विपक्षीय संबंधों को नई ऊर्जा देने वाले हैं।
इन समझौतों में शिपबिल्डिंग के क्षेत्र में साझेदारी, नई शिपिंग लेन पर निवेश, भारतीय नाविकों को ठंडे समुद्री क्षेत्रों में जहाज चलाने की ट्रेनिंग, और सिविल न्यूक्लियर ऊर्जा पर सहयोग शामिल है।
इन समझौतों के माध्यम से दोनों देशों का आर्थिक और रणनीतिक संबंंध और अधिक मजबूत होने की उम्मीद है।

