शराब घोटाला मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री आम आदमी पार्टी मनीष सिसोदिया की जमानत याचीका एक बार फिर खारिज कर दी गई है। कोर्ट के मुताबिक मनीष सिसोदिया इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (electronic evidence) जैसे कई सबूतों को मिटाने में शामिल थे। जानकारी के लिए आपको बता दें कि हाईकोर्ट ने 14 मई को ही ये फैसला सुरक्षित रख लिया था और ये सुनाया 21 मई को गया है।
हाईकोर्ट ने कहा कि सभी प्राप्त किये गए सबूतों से पता चलता है कि मनीष सिसोदिया ने अपने पूर्व निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप सार्वजनिक प्रतिक्रिया गढ़कर आबकारी नीति की प्रक्रिया में झोल किया। सिसोदिया ने आम जनता के विचारों को शामिल करने की जगह ‘एक योजना बनाई’ ताकि कुछ व्यक्तियों को फायदा हो और उन्हें रिश्वत मिल सके।
मनीष सिसोदिया सत्ता गलियारों में एक शक्तिशाली व्यक्ति
मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में कैद मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि सिसोदिया दिल्ली सरकार के सत्ता गलियारों में बहुत प्रभावशाली और शक्तिशाली चरित्र रखने वाले इंसान हैं। उनका ये व्यव्हार ‘लोकतंत्र सिद्धांतों के साथ विश्वासघात’ है। कोर्ट ने आगे ये भी कहा कि अगर सिसोदिया को जमानत दे दी गई तो हो सकता है वो फिर से सबूतों के साथ छेड़छाड़ करे।वो मौजूदा गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। इस बात को बिलकुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
अदालत ने कहा उनके खिलाफ कई सरकारी अधिकारीयों ने गवाही दी है।और ऐसे में उनके द्वारा उन्हें प्रभावित करने की कोशिश की जा सकती है। सुनिश्चित रूप से वो ऐसा करेंगे इस बात से बिलकुल इंकार नहीं किया जा सकता।
मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस स्वर्ण कांत शर्मा ने इन ही सब बातों को मद्देनजर रखते हुए सिसोदिया की जमानत याचिका एक बार फिर खारिज कर दी। ED और CBI PMLA) की धारा 3 के तहत money laundering का मामला आप के कई नेताओं के खिलाफ बनाया है जिसमें दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल भी शामिल है हालांकि अभी वो चुनावी प्रचार-प्रसार के अंतरिम जमानत पर बहार है।
ED और CBI दोनों ने दर्ज कराया मनीष सिसोदिया के खिलाफ मामला
मनीष सिसोदिया के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियां CBI और ED ने ये मामला दर्ज कराया था। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस शर्मा की बेंच ने कहा कि सिसोदिया ने यह दिखाने के लिए स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल किया जिससे कि दिल्ली की आबकारी नीति को जनता का समर्थन प्राप्त है। लेकिन वास्तव में, यह नीति कुछ व्यक्तियोंकी जेब भरने के लिए बनाई गई थी। कोर्ट ने कहा,ये पूरी तरह से साफ- साफ भ्रष्टाचार है
जस्टिस शर्मा ने कहा कि आप के नेता मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति बनाने में हेरफेर करने की कोशिश की और विशेषज्ञ समिति को फर्जी रिपोर्ट से भटकाकर फर्जी जनमत तैयार करने का प्लान बनाया। इसमें पाया गया कि सिसोदिया ने CBI मामले में जमानत के लिए कोई ट्रिपल टेस्ट पास नहीं किया क्योंकि यह स्वीकार किया गया है कि वह अपने द्वारा इस्तेमाल किए गए दोनों फोनों का अदालत में नहीं दे सके क्यूंकि वो नष्ट हो गए थे।
सिसोदिया को पत्नी से मिलने की हाईकोर्ट ने दी इजाजत
हाइकोर्ट ने अपने आदेश में भले ही ये बातें कहीं हो लेकिन सिसोदिया को अपनी पत्नी से मिलने की अनुमति जारी रहेगी। ट्रॉयल कोर्ट के आदेश के मुताबिक, वे हर हफ्ते अपनी पत्नी से मिल सकते हैं।
अब जमानत के लिए किसका दरवाजा खटखटाएंगे सिसोदिया
मनीष सिसोदिया अब अपनी फ्रेश जमानत याचिका ट्रॉयल कोर्ट यानी निचली अदालत में दाखिल कर पाएंगे। हाईकोर्ट ने इसके लिए उन्हें अनुमति दे दी है। हालांकि CBI और ED दोनों ने ही ने उनकी जमानत का विरोध किया लेकिन सिसोदिया की तरफ से बताया गया कि मामले में देरी हो रही है और देरी के आधार पर अब जमानत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, उन्हें ट्रॉयल कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल करने की अनुमति मिलनी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने पहले सिसोदिया की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था कि अगर वे ट्रॉयल कोर्ट में जमानत अर्जी डालेंगे तो जमानत याचिका खारिज होने वाली याचिका की टिप्पणियां अदालत के नए फैसले पर असर नहीं डालेंगी और अपने तरीके से स्वतंत्र रूप से फैसला ले सकेगी।