स्किन डिजीज़: बदलती लाइफस्टाइल, प्रदूषण और मौसम के कारण आजकल स्किन से जुड़ी समस्याएं आम हो गई हैं।
मुंहासे, खुजली, ड्राईनेस या एलर्जी जैसी समस्याओं को लोग हल्के में लेते रहे हैं।
लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्किन डिजीज़ को गंभीर बीमारियों की सूची में शामिल कर लिया है।
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कॉस्मेटिक नहीं, जरूरी दवा माने जाएंगे प्रोडक्ट्स
स्किन डिजीज़: WHO ने हाल ही में सनस्क्रीन और मॉइश्चराइजर को जरूरी दवाओं (Essential Medicines) की लिस्ट में शामिल कर लिया है।
इसका मतलब है कि ये सिर्फ कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स नहीं रहे, बल्कि स्किन बीमारियों के इलाज का अहम हिस्सा माने जाएंगे।
किसके लिए सबसे जरूरी?
हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह फैसला खासकर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा जिन्हें एल्बिनिज्म और एटोपिक डर्मेटाइटिस जैसी समस्याएं हैं।
इन बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए सनस्क्रीन और मॉइश्चराइजर अब दवा की तरह उपलब्ध कराए जाएंगे, जिससे यह कम कीमत पर आसानी से मिल सकेंगे।
स्किन डिजीज़ कितनी खतरनाक हो सकती हैं?
स्किन डिजीज़: आम तौर पर लोग स्किन की परेशानियों को हल्का समझते हैं, लेकिन कई बार यही बीमारियां जिंदगीभर परेशानी बन सकती हैं या जानलेवा भी साबित हो सकती हैं।
आम बीमारियां – मुंहासे, खुजली, रैश, एलर्जी, एग्जिमा और एलोपेसिया।
गंभीर बीमारियां – सोरायसिस, रोसैसिया, विटिलिगो और मेलेनोमा।
WHO का मानना है कि शुरुआती पहचान और सही इलाज से इन बीमारियों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
ग्लोबल एक्शन प्लान की तैयारी
WHO आने वाले साल में एक Global Action Plan पेश करेगा।
इसका मकसद दुनिया भर में स्किन डिजीज़ को लेकर जागरूकता बढ़ाना, बेहतर इलाज उपलब्ध कराना और दवाओं की कीमत कम करना है।
स्किन डिजीज़: ग्लोबल स्किन संस्था की CEO जेनिफर ऑस्टिन का कहना है कि WHO के इस कदम से करोड़ों लोगों को राहत मिलेगी, खासकर गरीब और मिडिल क्लास परिवारों को, जिन्हें अब इलाज कम खर्च में मिल सकेगा।