बिलकिस और उनका परिवार 2002 में गुजरात में हुए दंगों में से एक है। ये मामला 21 साल से भी ज्यादा पुराना है लेकिन एक बार फिर चर्चा में है, वो इसलिए क्योंकि 8 जनवरी को हाई कोर्ट ने 11 दोषियों की गिरफ्तारी को रद्द कर दिया और इतना ही नहीं उन्हें आत्मसमर्पण करने का आदेश भी दिया। आपको बता दें ये सभी दोषी बिलकिस बानो के साथ मिलकर रेप करने और उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या करने के मामले में जेल की सजा काट रहे थे ।
15 अगस्त 2023 में गुजरात सरकार द्वारा इन दोषियों को रिहा कर दिया गया था। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि जहां अपराधी के खिलाफ मुकदमा चला और सजा सुनाई गई, वही राज्य दोषियों की सजा माफी का फैसला कर सकता है, दोषियों की सजा माफी का फैसला गुजरात सरकार नहीं बल्कि महाराष्ट्र सरकार इस पर फैसला करेगी। दरअसल बिलकिस बानो मामले की सुनवाई महाराष्ट्र में हुई थी। हाई कोर्ट ने ये भी कहा कि दोषियों को रिहा करने का गुजरात सरकार का फैसला शक्ति के अधिकार का अपमान था।
कौन है ये बिलकिस बानो, क्या हुआ था इनके और इनके परिवार के साथ
कौन हैं बिलकिस बानो?
27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस में गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई, इस घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई। आगजनी की घटना के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे। इन दंगों की चपेट में आए कई परिवारों आये उन्हीं में से एक था बिलकिस बनो का परिवार।
गोधरा कांड के चार दिन बाद तीन मार्च 2002 को बिलकिस के परिवार को बेहद क्रूरता का सामना करना पड़ा। उस वक्त 21 साल की बिलकिस के परिवार में बिलकिस और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी के साथ 15 अन्य सदस्य भी थे। दंगाइयों के बीच बिलकिस के परिवार के सात लोगों को मौत के घाट उतारा दिया गया।
बिलकिस के साथ हुआ क्या था
27 फरवरी को हुई घटना पुरे प्रदेश में सांप्रदायिक दंगे फैल गए। दाहोद जिले के राधिकपुर गांव में बिलकिस बानो का परिवार रहा करता था। दंगा बढ़ते देख परिवार ने गांव छोड़ भागने का फैसला लिया। उस वक्त बिलकिस पांच गर्भावस्था में थी। वह अपने साढ़े तीन साल की बेटी सालेहा और परिवार के 15 अन्य सदस्यों के साथ गांव से भाग गईं।
3 मार्च 2002 को परिवार चप्परवाड़ गांव पहुंचा और पन्निवेला गांव की ओर जाने वाले कच्चे रास्ते के बीच एक खेत में छुप गया। अदालत में दायर याचिका के मुताबिक, सजा पाने वाले 11 दोषियों समेत करीब 20-30 लोगों ने हसिया, तलवार और लाठियों से बिलकिस और उनके परिवार पर हमला कर दिया। हमले में बिलकिस की साढ़े तीन साल की बेटी समेत सात लोग की मौत हो गई।
बर्बरता से बिलकिस की साढ़े तीन साल की बेटी को पत्थर पर पटक – पटककर मार डाला
पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में बिलकिस बानो की याचिका पर एक सुनवाई के दौरान बिलकिस बानो के वकील ने इस दर्दनाक घटना का का जिक्र किया था। वकील शोभा गुप्ता का कहना था कि यह एक आकस्मिक घटना नहीं थी, दोषी उनका पीछा कर रहे थे। दोषी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि वे कहां छिपे हुए हैं। वे खून के प्यासे थे।
वकील ने अदालत को बताया कि ‘जब बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थीं, तब उनके साथ कई बार क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया और उनकी साढ़े तीन साल की बेटी को चट्टान पर पटक कर मार डाला गया था।’ वकील ने कहा कि वह हमलावरों से गुहार लगाती रहीं की ऐसा ना करें लेकिन उन्होंने उन पर या उनके परिवार पर बिलकुल रेहम नहीं आया।
परिवार के साथ दरिंदगी और बर्बरता
वकील ने आगे ये भी बताया कि, ‘बिलकिस की मां और चचेरी बहन के साथ भी पहले तो कई दिनों का गैंगरेप किया गया और बाद में जब उनका मन भर गया तब उनकी हत्या कर दी गई। चार नाबालिग भाई-बहन…उनकी चचेरी बहन का दो दिन का बच्चा…चाची-चाची, अन्य चचेरे भाई-बहनों की भी हत्या कर दी गई।’
वकील शोभा ने कहा कि जो शव बरामद किए जा सके, उनके सिर और छाती बेरहमी से कुचले हुए पाए गए। उन्होंने कहा कि कुल 14 मौतें हुईं,लेकिन शव केवल 7 के ही बरामद किये जा सके क्योंकि जिस स्थान पर घटना घटी वह उस समय सुरक्षित नहीं था ।