2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे 4 जून को आ चुके है। भारतीय जनता पार्टी और NDA गठबंधन को 292 सीटें मिली है और इंडी गठबंधन को 234 सीटें मिली है। इतने कम अंतर को देखते हुए आप यह तो समझ ही गए होंगे कि भाजपा के कई प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा है। इनमे कई दिग्गज नेता जैसे स्मृति ईरानी, अन्नामलाई, मेनका गाँधी भी शामिल है। ऐसे में अन्नामलाई कि हार चर्चा का कारण क्यों बानी हुई है। आइये आपको बताते है कि ऐनी मलाई कौन है और सुर्खियों में क्यों चल रहे है।
26 जुलाई 2016, जब कर्नाटक के उडुपी ज़िले के पुलिस मुख्यालय के बाहर आम लोग प्रदर्शन कर रहे थे। यह प्रदर्शन वहां के SP के समर्थन और उनके तबादले के विरोध में था। यह सप कोई और नहीं अन्नामलाई कुप्पुसामी ही थे। ऐसा एक बार नहीं हुआ बल्कि 16 अक्टूबर 2018 को कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के पुलिस मुख्यालय के बाहर फिर ऐसा ही प्रदर्शन हुआ। इस प्रदर्शन के पीछे कि वजह भी अन्नामलाई ही थे। दूसरी बार भी इन्ही के तबादले को रोकने के लिए वहां कि आम जनता ने यह प्रर्दशन किया था। लोगों से जब इसका कारण पूछा गया तो उनका कहना था कि ऐसा ईमानदार अफसर मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। वो लोगों के पसंदीदा बन चुके थे। हो भी क्यों ना इन्होने काम भी तो ऐसे ही किये थे।
बात है 17 जून 2015 की जब यहाँ एक 17 साल की बच्ची की रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। उस समय उन्हें उडुपी का एसपी बने हुए सिर्फ छह महीने ही हुए थे। उस बच्ची कि माँ ने ने पूछा- “क्या तुम मेरी बच्ची को वापस ला पाओगे? इस सवाल का जवाब देना उनके लिए बहुत मुश्किल था पर उन्होंने उस औरत को आश्वासन दिया कि वो उनकी बेटी को वापस तो नहीं ला सकते लेकिन यह सुनिश्चित कर सकते है कि वो सबके दिलों में रहे, सबको याद रहे।
इन्होने जो कहा वो किया भी। अन्नामलाई ने बिंदूर तालुका में दसवीं कक्षा की परीक्षा में टॉप करने वाली छात्राओं के लिए पीड़िता के नाम पर अक्षत देवाडिगा छात्रवृत्ति की शुरुआत की, जिसके तहत हर साल छात्रा को 10 हज़ार रुपए की राशि दी जाती है। इसके बाद इन्होने एक सुरक्षा” ऐप भी लॉन्च किया,जिसे आम लोगों ने खूब सराहा था।
पुलिस सेवा छोड़ राजनीति में आए
साल 2019 में इन्होने पुलिस सेवा से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद 5 अगस्त 2020 को यह बीजेपी में शामिल हुए। फिर 1 साल बाद ही 9 जुलाई, 2021 को जब अन्नामलाई सिर्फ 36 साल के थे तो उन्हें को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इस घटना को कई लोगों ने बीजेपी की बैकवर्ड जातियों को लुभाने वाला कदम बताया। हालाँकि BJP को इस बात का कोई खास फायदा नहीं हुआ, पर इनकी वजह से NDA गठबंधन में बड़ा बवाल जरूर हो गया। ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) ने BJP से उनसे नाराज होने कि वजह से नाता तोड़ लिया था। AIADMK के नेता तमिलनाडु में BJP प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के बयानों से नाराज थे। बता दें कि उन्होंने अन्नादुरई पर आरोप लगाया था कि साल 1956 में मदुरै में एक कार्यक्रम में अन्नादुरई ने हिंदू धर्म का अपमान किया था जिसके बाद उन्हें मदुरै में छिपना पड़ा और जब तक माफी नहीं मांगी, तब तक वो बाहर नहीं आ सके। के.अन्नामलाई के इस बयान को लेकर AIADMK में भारी नाराजगी थी. उसके वरिष्ठ नेताओं ने अन्नामलाई से माफी मांगने को कहा था, लेकिन इससे लेकर BJP में सहमति नहीं बनी। किसका अंजाम यह हुआ कि गढ़बंधन टूट गया। यह गठबंधन टूटना भाजपा के लिए एक बड़ा झटका था पर फिर भी पार्टी अन्नामलाई के साथ मजबूती से खड़ी रही। पार्टी का अन्नामलाई को न छोड़ने का कारण उनकी इम्मंदारी और समझदारी ही था।
क्यों हुई अन्नामलाई की हार
के.अन्नामलाई जो लोकसभा चुनाव 2024 में तमिलनाडु क्षेत्र कि कोयंबटूर सीट से खड़े थे। चुनाव परिणाम आने के बाद पता चला कि DMK के प्रत्याशी गणपति राजकुमार पी से 118068 वोटो से हार गए। अब सोचने वाली बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के इतने प्रमुख चेहरे कि हार का कारण क्या था। इसके कई अनुमान लगाए जा रहे है जिसमे से एक है प्रचार का समय न मिलना।
अन्नामलाई की उम्मीदवारी की घोषणा चुनाव से एक महीने से भी कम समय पहले की गई थी। जिसके चलते उन्हें पार्टी और एनडीए गठबंधन के अन्य लोगों के लिए प्रचार के लिए पूरे राज्य में यात्रा करनी पड़ी, और कोयंबटूर के लिए समय नहीं बचा। पार्टी समर्थकों का कहना है कि अगर थोड़ा अधिक समय मिलता तो अन्नामलाई को मदद मिल सकती थी।