Mutual Fund Investments: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस बार के बजट में इनकम टैक्स सिस्टम के साथ ही शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट के नियमों में भी बदलाव किया है।
Mutual Fund Investments: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 23 जुलाई को बजट जारी कर दिया है। उन्होंने टैक्स स्ट्रक्चर को आसान बनाने और इन्वेस्टर्स के लिए कई नए बदलाव किये हैं। इन बदलावों का म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर भी असर देखने को मिलेगा। बजट के बाद शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट पर लगने वाला टैक्स ने नियम भी बदल गए हैं। आइये इसके बारे आज हम इसी बारे में विस्तार से जानते हैं।
खत्म किया इंडेक्सेशन, आसान हुए म्यूचुअल फंड्स पर लगने वाले टैक्स
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री पर बजट के असर को समझाने के लिए एडेलवाइज म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ राधिका गुप्ता ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की। राधिका ने पोस्ट में बताया कि पहले इन फंड्स पर कई तरह के टैक्स लगते थे जिनमें लॉन्ग टर्म, शार्ट टर्म कैपिटल गेन,इंडेक्सेशन बेनिफिट और मार्जिनल टैक्स रेट मिलत थे। अब इन सभी को आसान बना दिया गया है और इंडेक्सेशन को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है।
तीन कैटेगरी के लगेंगे टैक्स
अब म्यूचुअल फंड पर तीन कैटेगरी के टैक्स लगेंगे। पहली कैटेगरी में 65 परसेंट से ज्यादा होल्डिंग वाले इक्विटी म्यूचुअल फंड आएंगे। इन पर कैपिटल एसेट टैक्स लागु होगा, जो कि शॉर्ट टर्म में 20 परसेंट और लॉन्ग टर्म में 12.5 परसेंट तक होगा। अब एक साल से ज्यादा वाले सभी इंवेस्टमेंट्स को लॉन्ग टर्म मान लिया जाएगा। दूसरी कैटेगरी में वो फंड आएंगे, जिनकी डेट सिक्योरिटीज में होल्डिंग 65 परसेंट से अधिक होगी। इन पर शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कि जगह मार्जिनल रेट लागु किया जायेंगे। हालांकि इसमें इस साल कोई बदलाव नही हुआ है।
लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स को यहां होगा फायदा
तीसरी कैटेगरी में वो म्यूचुअल फंड्स आएंगे। ये पहले बार दोनों कैटेगरी में नहीं आते हैं। इनमें गोल्ड इंडेक्स फंड, गोल्ड ईटीएफ, इक्विटी में निवेश करने वाले फंड्स ऑफ फंड्स, इंटरनेशनल फंड और कंजरवेटिव या हाइब्रिड फंड आएंगे। इन पर शॉर्ट टर्म में मार्जिनल रेट और लॉन्ग टर्म में 12.5 फीसदी टैक्स लगेगा। यहां लॉन्ग टर्म को 2 साल के तौर पर देखा जाएगा। ऐसे में अगर आप लंबी अवधि के निवेशक हैं तो इसी कैटेगरी में आपको लाभ मिलेगा।
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