UNESCO List: अहोम मोइदम को यूनेस्को की सूची में शामिल कर लिया गया है। इसका क्षेत्रफल 95.02 हेक्टेयर है और इसका बफर जोन 754.511 हेक्टेयर है। एक रिपोर्ट में कहा गया कि चराइदेव स्थित इस कब्रिस्तान में लगभग 90 ऐसी डिजाइंस हैं जो ऊंची भूमि पर बनी है।
UNESCO List: ऐसा होने से ये भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र का पहला सांस्कृतिक स्थल बन गया है। इसे यूनेस्को में शामिल करने की अपील अंतरराष्ट्रीय सलाहकार संस्था आईसीओएमओएस द्वारा की गयी थी।
आईसीओएमओएस यानि अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल ने ‘सांस्कृतिक एवं मिश्रित संपत्तियों के नामांकन का मूल्यांकन’ रिपोर्ट तैयारी की थी। इस रिपोर्ट को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विश्व धरोहर समिति डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र में पेश किया गया। यहीं पर ये फैसला लिया गया कि मोइदम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची का हिस्सा बनाया जायेगा।
विश्व धरोहर समिति डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र में मोइदम्स बना यूनेस्को का हिस्सा
अंतर्राष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद (आईसीओएमओएस) ने ‘सांस्कृतिक एवं मिश्रित संपत्तियों के नामांकन का मूल्यांकन’ रिपोर्ट तैयारी की थी। इस रिपोर्ट को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विश्व धरोहर समिति डब्ल्यूएचसी के 46वें सत्र में पेश किया गया। यहां यह फैसला लिया गया कि इसे मोइदम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाएगा। जानकारी के लिए बता दें कि ‘मोइदम’ को साल 2023-24 के लिए यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल करने के लिए भारत के नामांकन के तौर पर प्रस्तुत किया था।
क्या है चराइदेव मोइदाम
चराईदेव मोईदम को अहोम समुदाय के लोगों द्वारा बहुत पवित्र माना गया है। हर मोईदाम किसी अहोम शासक या गणमान्य व्यक्ति के विश्राम करने का स्थान माना जाता है। यहां उनके अवशेषोंतो है ही साथ ही यहां मूल्यवान कलाकृतियां और खजाने भी संरक्षित है। चराईदेव मोईदम मृतक के अवशेषों को एक गाड़कर, कक्ष में दफन किया जाता है। उसके ऊपर का एक टीला या स्मारकबना दिया जाता है। मोईदम असमिया पहचान और विरासत की समृद्धकी शाही परंपरा को दर्शाता है।
असम का पिरामिड भी इसकी पहचान
चराईदेव मोईदम को असम का पिरामिड के नाम से भी जाना जाता है। यहां 90 से अधिक टीलों पे घर बने हैं। ये टीले सिर्फ दफन स्थल ही नहीं हैं बल्कि ये विशेष सांस्कृतिक और एतिहासिक विरासत की धरोहर भी है।
ये दिन स्वर्ण अक्षरों में हुआ अंकित बोली संस्कृत मंत्री
संस्कृति मंत्री शेखावत ने ‘मोइदम’ को लेकर कहा कि यह दिन स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत को विश्व धरोहर सूची में आज 43वीं संपत्ति मिली है। उन्होंने यूनेस्को का भी इस पर आभार जताया।
आईसीओएमओएस क्या है?
आईसीओएमओएस संस्था फ्रांस में स्थित है। ये सांस्कृतिक विरासतों के लिए यूनेस्को का एक सलाहकार संगठन है। यह एक अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है जिसमें विशेषज्ञ,पेशेवर, स्थानीय अधिकारियों, कंपनियों और विरासत संगठनों के लोग शामिल है। यह संगठन दुनिया भर में वास्तुकला और परिदृश्य विरासत के संरक्षण और संवर्धन के लिए कार्य करता है।