Wednesday, December 24, 2025

क्या है Chromophobia, जिसमे रंगों से लगता है डर

कई बार हम कुछ ऐसे लोगों से मिलते है जिन्हे रंगो से दर लगता है। इसे कलर फोबिया भी कहते हैं। मेडिकल भाषा में इसे Chromophobia कहा जाता है।

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रंगों से लगने वाले डर को क्रोमोफोबिया के नाम से जाना जाता है जो ग्रीक के शब्द क्रोमो और फोबिया को जोड़कर बना है। जहां ‘क्रोमो’ का मतलब रंग और ‘फोबिया’ का मतलब डर होता है। इसमें क्रोमोफोबिया से जूझ रहे लोगों को रंगों को लेकर काफी डर होता है। इसमें अक्सर लोगों को एक या दो रंगो से डर लगता है।

जिन लोगों को क्रोमोफोबिया डिसऑर्डर होता है, वो अक्सर कुछ रंगों को देखकर ट्रिगर हो जाते हैं, उन्हें बेचैनी और एंग्जायटी होने लगती है। ऐसा भी हो सकता है कि उन्हें पैनिक अटैक आने लगे। यही वजह है कि इससे परेशान लोग घर से बाहर निकलने व लोगों से मिलने से भी करताते हैं।

Chromophobia के पीछे की वजह

हेल्थ प्रोफेशनल्स के अनुसार इसके पीछे की वजह नहीं पता चल पाई है। जिन लोगों को एंज्याटी डिसऑर्डर होता है, उनमें इसका जोखिम अधिक होता है। अगर किसी के परिवार में मानसिक बीमारी, मूड डिसऑर्डर या फोबिया डिसऑर्डर है, तो उसे इसके होने की संभावना अधिक होती है।

किस रंग के डर को क्या कहते है

जिन्हें ओरेंज या गोल्डन कलर से डर लगता है, उनकी स्थिति को क्राइसोफोबिया (Chrysophobia) के नाम से जाना जाता है। इसी तरह नीले रंग से जो लोग डरते हैं उन्हें सयानोफोबिया (Cyanophobia)। पिले रंग से डरने वालो को जैंथोफोबिया (Xanthophobia) कहा जाता है। वही भूरे रंग के डर को कस्तानोफोबिया, सफेद रंग का डर ल्यूकोफोबिय और काले रंग का डर मेलानोफोबिया, कहलाता है।

Chromophobia के लक्षण क्या हैं?

क्रोमोफोबिया से पीड़ित लोग जब उन रंगो को देखते है जिनसे उन्हें डर लगता है तो उनमें यह लक्षण दिख सकते है, जैसे:

ठंड लगना .
चक्कर आना और हल्का सिरदर्द होना।
अत्यधिक पसीना आना ( हाइपरहाइड्रोसिस )।
दिल की धड़कन बढ़ना .
जी मिचलाना ।
सांस लेने में तकलीफ (डिस्पेनिया)।
कांपना या हिलना।
पेट खराब होना या अपच (डिस्पेप्सिया)।

Karnika Pandey
Karnika Pandeyhttps://reportbharathindi.com/
“This is Karnika Pandey, a Senior Journalist with over 3 years of experience in the media industry. She covers politics, lifestyle, entertainment, and compelling life stories with clarity and depth. Known for sharp analysis and impactful storytelling, she brings credibility, balance, and a strong editorial voice to every piece she writes.”
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