Migraine के मरीजों को भीड़ और ज्यादा तेज आवाजों की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में सवाल ये है कि क्या म्यूजिक से माइग्रेन में आराम मिलता है। आइये आज आपको इसका सही जवाब बताते हैं।
ज्यादातर Migraine से जूझ रहे लोगों को शोर और लाउड आवाजों से परेशानी होती है। लेकिन अगर हम आपको कहें का इसका इलाज भी इस ही से मिलती जुलती चीज है। आज हम आपके लिए माइग्रेन से छुटकारा पाने का ऐसा तरीका लाये हैं, जिसे सुनकर आप चौक जायेंगे। माइग्रेन से ग्रस्त कई लोगों को माइग्रेन के दौरान या उससे पहले लाउड म्यूजिक से दिक्कत होती है।
Migraine की बात आये तो ज़्यादातर लोग मानते हैं कि शोर से दूर रहेंगे तो माइग्रेन का दर्द कम हो जायेगा। लेकिन आपको बता दें कि हर किसी के साथ ऐसा नहीं होता है। आजतक लोग माइग्रेन के सिरदर्द को रोकने या उसका इलाज के नए और सटीक तरीके ढूंढ रहे हैं। और इस ही बीच कुछ लोग माइग्रेन के इलाज के लिए साउंड थेरेपी लेना पसंद कर रहे हैं।
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क्या है साउंड थेरेपी, क्या इससे Migraine में राहत मिलती है?
Migraine: हम आपको कहें की म्यूजिक माइग्रेन के दर्द को कम कर सकता है। हालांकि इस बात को लेकर कोई अभी तक कोई खास फैक्ट्स मौजूद नहीं है। लेकिन साल 2021 में हुई एक रिसर्च, में पाया गया कि 3 महीने तक रोज़ाना संगीत सुनने से, माइग्रेन के हमले 50% तक कम हुए हैं।
वहीँ 2013 में माइग्रेन से पीड़ित बच्चों से जुड़े एक रिसर्च में पाया गया कि म्यूजिक थेरेपी के जरिए सिरदर्द को लगभग 20% तक कम किया जा सकता है। डिप्रेशन को लेकर भी म्यूजिक थेरेपी के इस्तेमाल पर काफी अध्ययन किये गए हैं। बता दें कि डिप्रेशन को माइग्रेन से पीड़ित 70% लोगों के लिए ट्रिगर पॉइंट माना जाता है।
माइग्रेन कम करने के लिए सुनें इस तरीके का म्यूजिक
Migraine के शिकार कुछ लोगों के लिए कुछ खास रिसर्च हुए। वाद्य संगीत का उपयोग करके थेरेपी कार्यक्रम भी बनाया गया। इसमें विभिन्न शैलियों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें से कुछ है
- विश्व संगीत
- जैज़
- शास्त्रीय संगीत
वाद्य संगीत दिमाग को शांत करता है। इसके लिए धीमी गति वाले संगीत चुनें, जिसमें 40-80 बीट्स प्रति मिनट हों और कम वाद्य ध्वनियां भी हो। एक लाइसेंस प्राप्त संगीत चिकित्सक आपकी जरूरत के अनुसार सही संगीत सुनने की योजना बनाने में मदद कर सकता है।
मस्तिष्क दो अलग-अलग स्वरों के बीच अंतर को समझने की कोशिश में एक तीसरा स्वर बनाता है, जिसे बाइनॉरल बीट कहा जाता है। और ये तीसरा स्वर दोनों स्वरों के बीच के अंतर को दर्शाता है। बाइनॉरल बीट्स मस्तिष्क की तरंगों को संतुलित करने में मदद कर सकते हैं, जिससे माइग्रेन की समस्या कम हो सकती है और दर्द से राहत मिल सकती है।
DISCLAIMER: ऊपर दी गयी सारी जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है, इसलिए किसी भी सुझाव को अमल करने से पहले एक बार चिक्तिसक से सलाह अवश्य लें।