राजस्थान के झालावाड़ ज़िले के मनोहरथाना में हुए भीषण हादसे ने पूरे प्रदेश को गहरे शोक में डुबो दिया है। इस दर्दनाक घटना में 7 मासूम बच्चों की जान चली गई।
शनिवार को राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने घटनास्थल का दौरा किया और मृतक बच्चों के परिजनों से मुलाक़ात की।
अपने दौरे के दौरान वसुंधरा राजे ने भावुक होते हुए कहा, “मैं आप सभी का दर्द महसूस कर सकती हूँ, क्योंकि मैं भी एक माँ हूँ। मैं जानती हूँ कि एक माँ अपने बच्चे को कितने स्नेह और सपनों के साथ बड़ा करती है।
यह ऐसा दुःख है जिसकी कोई सीमा नहीं होती। माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर तमाम सपने बुनते हैं… यह हादसा उन सभी सपनों का असमय अंत बनकर आया है, एक ऐसा खालीपन जो कभी भर नहीं सकता।”
भाई-बहन की मौत से कांप उठा हर दिल

इस हादसे में एक ही परिवार के दो मासूम भाई-बहन, कान्हा और मीना की मौत ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया। वसुंधरा राजे ने बताया कि जब वह परिजनों से मिलीं और उनके रोते-बिलखते शब्द सुने, तो वह अपने आँसू रोक नहीं सकीं। “इस परिवार के दोनों बच्चे अब नहीं रहे, घर के चिराग ही बुझ गए”, उन्होंने कहा।
घायल बच्चों से भी की मुलाक़ात

पूर्व मुख्यमंत्री ने हादसे में घायल हुए बच्चों से मनोहरथाना के राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर मुलाक़ात की और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। उन्होंने चिकित्सकों को हरसंभव बेहतर इलाज सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश दिए।
पीड़ितों को मिलेगा पक्का मकान

वसुंधरा राजे ने कहा कि उन्होंने ज़िले के प्रभारी अधिकारी रवि जैन को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मृतक बच्चों के परिजनों को सरकारी योजनाओं के माध्यम से तत्काल पक्के आवास उपलब्ध कराए जाएँ। उन्होंने कहा, “दुख की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं और हरसंभव मदद की जाएगी।”
साथ रहे कई वरिष्ठ नेता और अफसर

इस दौरान उनके साथ झालावाड़ सांसद दुष्यंत सिंह, क्षेत्रीय विधायक गोविंद रानीपुरिया, ज़िलाधिकारी अजय सिंह राठौड़, पुलिस अधीक्षक अमित कुमार, ज़िला अध्यक्ष हर्षवर्धन शर्मा और आरपीएससी के पूर्व चेयरमैन श्याम सुंदर शर्मा भी मौजूद रहे।
प्रशासन पर फिर उठे सवाल

गौरतलब है कि हादसे के बाद प्रशासन और सरकार की लापरवाही पर विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है। मरम्मत योग्य विद्यालयों की सूची होते हुए भी समय रहते कोई कार्रवाई नहीं हुई। मृतकों के परिवार न्याय और जवाबदेही की माँग कर रहे हैं।
मनोहरथाना हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि एक ऐसी त्रासदी है जिसने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। अब यह देखना होगा कि संवेदना से आगे बढ़कर ज़िम्मेदार सिस्टम और सत्ता वास्तव में कुछ बदलेगी या नहीं।