उत्तराखंड के हल्द्वानी शहर में हाल ही में ऐसा फर्जीवाड़ा सामने आया जिसने प्रशासन, पुलिस और आम जनता, तीनों को हिलाकर रख दिया।
एक कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) संचालक फैजान पर आरोप है कि उसने उत्तरप्रदेश के रहने वाले रईस को सिर्फ चार दिनों के भीतर हल्द्वानी का निवासी दिखाकर उसका स्थायी निवास प्रमाण पत्र तैयार कर दिया।
यह सिर्फ एक दस्तावेज़ नहीं था, बल्कि पहचान, निवास और सरकारी सिस्टम की विश्वसनीयता के साथ सीधा खिलवाड़ था।
उत्तराखंड: फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र
मामला तब उजागर हुआ जब 13 नवंबर की शाम एक व्यक्ति ने कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत के सामने शिकायत दर्ज कराई।
उसकी शिकायत थी कि उसके निजी दस्तावेजों का गलत इस्तेमाल करके किसी दूसरे व्यक्ति का स्थायी निवास प्रमाण पत्र बना दिया गया है।
शुरुआत में यह एक साधारण तकनीकी गलती लग सकती थी, लेकिन जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, पूरा मामला एक संगठित फर्जी दस्तावेज़ निर्माण नेटवर्क की शक्ल में सामने आया।
आरटीआई से खुला मामला
सबसे दिलचस्प बात यह रही कि इस फर्जीवाड़े का खुलासा किसी बाहरी व्यक्ति ने नहीं, बल्कि फैजान के अपने ही रिश्तेदार ने किया।
उसे संदेह हुआ कि CSC संचालक बिना पात्रता के भी लोगों के PRC बनवा रहा है। शंका मजबूत होने पर उसने फैजान से इस बारे में पूछा, लेकिन उसने सब झूठ बताया।
इसके बाद रिश्तेदार ने आरटीआई दाखिल की और वही आरटीआई पूरे घोटाले का मुख्य सबूत बन गई।
पिता के नाम में भी फर्जीवाड़ा
आरटीआई में सामने आया कि बरेली के रहने वाले रईस अहमद के स्थायी निवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए हल्द्वानी में रहते दूसरे रईस अहमद के असली दस्तावेजों का इस्तेमाल किया गया था।
हल्द्वानी के रईस का PRC भी फैजान ने ही बनाया था, इसलिए उसके पास उसके सभी दस्तावेज सुरक्षित थे।
इसी का फायदा उठाकर उसने बरेली वाले व्यक्ति के नाम पर पूरी फाइल तैयार कर दी।
यहां तक कि पिता के नाम में भी फर्जीवाड़ा किया गया बरेली वाले रईस के पिता जीवित थे, लेकिन फैजान ने उन्हें मृत दिखा दिया ताकि दस्तावेज मिलान करते समय शक न उठे।
बरेली के रईस को मिला हल्दवानी का निवास
फर्जी PRC तैयार करने का सबसे कठिन चरण OTP वेरिफिकेशन था, लेकिन फैजान ने यह बाधा भी बड़ी चतुराई से पार की।
26 जुलाई को एक आम व्यक्ति CSC सेंटर पर अपना प्रमाण पत्र बनवाने आया।
फैजान ने उसी के मोबाइल नंबर का उपयोग किया और उसी समय दो आवेदन कर दिए एक उस वास्तविक ग्राहक का और दूसरा बरेली के रईस अहमद का।
कुछ ही दिनों में, 29 जुलाई को फर्जी स्थायी निवास प्रमाण पत्र सिस्टम में स्वीकृत होकर निकल भी आया।
पुलिस ने किया गिरफ्तार
शिकायतकर्ता और फैजान के रिश्तेदार ने मिलकर जनसुनवाई में कमिश्नर दीपक रावत को यह मामला बताया, उन्होंने तुरंत गोपनीय जांच बिठाई।
जांच में फैजान का नाम सामने आते ही 13 नवंबर की शाम बनभूलपुरा स्थित CSC सेंटर पर छापा मारा गया।
छापे में कई लोगों के निजी दस्तावेज़, पहचान पत्र, और संवेदनशील रिकॉर्ड बरामद हुए, जो किसी भी सर्विस सेंटर पर सुरक्षित रखना पूरी तरह गैरकानूनी है।
पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया और फर्जी दस्तावेज बनाने के आरोप में केस दर्ज किया।
यह घटना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि डिजिटल सेवाओं का दुरुपयोग कर फर्जी पहचानें बनाना कितना आसान हो गया है।
इसी को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त निर्देश जारी किए हैं कि राज्यभर में सभी जनसेवा केंद्रों की जांच की जाए।
वहीं, नैनीताल डीएम ने SDM हल्द्वानी को आदेश दिया है कि पिछले पांच सालों में जारी सभी स्थायी निवास प्रमाणपत्रों की दोबारा जांच की जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि ऐसे कितने फर्जी दस्तावेज पहले भी बनाए गए।

