Uttarakhand Cloudburst 2025: उत्तराखंड को सदियों से देवभूमि कहा जाता है, जहां हरियाली, हिमालय, पवित्र नदियां और शांति का साम्राज्य रहा है।
लेकिन आज वही देवभूमि बार-बार प्रकृतिक आपदाओं की चपेट में आ रही है।
कभी लैंडस्लाइड, कभी क्लाउडबर्स्ट, कभी बाढ़, कभी भूकंप। ऐसी आपदाएं अब यहां आम हो गई हैं।
2013 की केदारनाथ त्रासदी से लेकर 2021 में चमोली में ग्लेशियर फटने और 2023 में भूस्खलन की घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड अब लगातार खतरे में है।
Table of Contents
पहाड़ों पर खतरे का बढ़ता कारण
Uttarakhand Cloudburst 2025: शोध बताते हैं कि केवल प्रकृति नहीं, इंसानी गतिविधियां भी इन आपदाओं की बड़ी वजह हैं।
टनल, हाइड्रो प्रोजेक्ट, अवैज्ञानिक निर्माण कार्य और टूरिज़्म के बढ़ते दबाव ने पहाड़ों की नाजुक भूगर्भीय संरचना को कमजोर किया है।
ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाउडबर्स्ट का रिश्ता
जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेज़ी से पिघल रहे हैं और तापमान में असामान्य वृद्धि हो रही है।
रिपोर्ट्स कहती हैं कि 2018 के बाद से मिनी क्लाउडबर्स्ट और भारी वर्षा की घटनाएं कई गुना बढ़ी हैं, जिससे अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन जैसी आपदाएं हुई हैं।
पर्यटन और अनियंत्रित विकास का दबाव
Uttarakhand Cloudburst 2025: चारधाम यात्रा और हिल टूरिज्म ने उत्तराखंड की पारिस्थितिकी पर दबाव बढ़ाया है।
पर्यटकों की बढ़ती संख्या, जंगलों की कटाई और कचरे की भरमार ने प्राकृतिक संसाधनों को संकट में डाल दिया है।
चेतावनी नहीं, अब है कार्रवाई का समय
Uttarakhand Cloudburst 2025: अब यह ज़रूरी हो गया है कि उत्तराखंड में विकास कार्यों के नाम पर हो रहे अत्यधिक मानवीय हस्तक्षेप पर रोक लगे।
वैज्ञानिक योजना, पारिस्थितिकीय संतुलन और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की ओर बढ़ना ही एकमात्र रास्ता है।