US: डोनाल्ड ट्रम्प के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिका में प्रवासियों के खिलाफ सख्त रवैया और कठोर नीतियों का दौर फिर तेज़ी से शुरू हो गया है।
खासकर उन प्रवासियों को निशाना बनाया जा रहा है, जो युद्ध, हिंसा या उत्पीड़न से बचकर अमेरिका आए हैं और शरण की उम्मीद कर रहे हैं।
अब ट्रम्प प्रशासन ने एक नई रणनीति अपनाई है, जिसके तहत शरण मांगने वाले माता-पिता को दो विकल्पों में से किसी एक को चुनने के लिए मजबूर किया जा रहा है या तो वे देश छोड़कर डिपोर्टेशन को स्वीकार करें, या फिर अपने बच्चों से अलग होने के लिए तैयार हो जाये।
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US: प्रवासियों में डर का माहौल
यह रणनीति ट्रम्प के पहले कार्यकाल की विवादास्पद ‘फैमिली सेपरेशन’ नीति से काफी मिलती-जुलती है, जिसमें हजारों परिवारों को तोड़ दिया गया था, लेकिन अब इस नीति को और भी अधिक व्यवस्थित तरीके से लागू किया जा रहा है।
पहले की तुलना में यह नीति उन प्रवासियों पर भी लागू की जा रही है जो पहले ही अमेरिका की सीमा पार कर चुके हैं और जिनके खिलाफ निर्वासन आदेश जारी हो चुका है। इससे प्रवासी समुदायों में डर और अनिश्चितता और गहराती जा रही है।
फाइलों के आधार पर लोगों की पहचान
एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी दस्तावेजों और केस फाइलों के आधार पर कम से कम नौ ऐसे परिवारों की पहचान हुई है जिन्हें इन नीतियों के तहत दबाव में रखा गया।
इन मामलों में अधिकारियों ने माता-पिता को साफ तौर पर दो ही रास्ते दिए या तो वे बच्चों को लेकर देश छोड़ें।
या फिर उन्हें पीछे छोड़ कर अकेले चले जाएं। यह निर्णय किसी भी माता-पिता के लिए बेहद दर्दनाक और मानसिक रूप से तोड़ देने वाला है।
इस तरह की नीति का मकसद प्रवासियों पर मानसिक और भावनात्मक दबाव बनाकर उन्हें देश छोड़ने के लिए मजबूर करना है। मानवाधिकार संगठनों और आप्रवासी अधिकार समूहों ने इस नीति की तीखी आलोचना की है।
उनका कहना है कि यह न केवल अमानवीय है, बल्कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी घातक है।
निगेटिव नेट माइग्रेशन’ दर्ज किया जाएगा
ट्रम्प प्रशासन का यह भी दावा है कि 2025 अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहला साल हो सकता है जब ‘निगेटिव नेट माइग्रेशन’ दर्ज किया जाएगा यानी अमेरिका छोड़ने वालों की संख्या, आने वालों से ज्यादा होगी।
व्हाइट हाउस ने इस दावे को मजबूत करने के लिए एक ग्राफिक भी जारी किया है, लेकिन इसके समर्थन में कोई ठोस आंकड़े अब तक सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
इस पूरी नीति के पीछे ट्रम्प प्रशासन की सोच साफ है अमेरिका को प्रवासियों के लिए एक कठिन और असहज देश बनाना ताकि शरण मांगने की प्रवृत्ति को रोका जा सके। लेकिन इससे न केवल अमेरिका की वैश्विक छवि को नुकसान हो रहा है।
बल्कि उन हजारों परिवारों की ज़िंदगी भी बिखर रही है जो सुरक्षा और बेहतर जीवन की उम्मीद लेकर अमेरिका की ओर रुख करते हैं।