UPI: डिजिटल इंडिया की दिशा में देश लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है और इसका ताजा उदाहरण 2 अगस्त को देखने को मिला, जब यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के ज़रिए एक ही दिन में 707 मिलियन यानी 70.7 करोड़ से अधिक लेन-देन दर्ज किए गए।
यह आंकड़ा अमेरिका की कुल जनसंख्या से दोगुना है, जिसकी अनुमानित संख्या 341.2 मिलियन है।
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UPI: यूपीआई का ग्राफ ऊपर
यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि भारत में यूपीआई अब केवल एक भुगतान प्रणाली नहीं बल्कि एक आम जनजीवन का हिस्सा बन चुकी है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार,
यूपीआई का ग्राफ बीते कुछ वर्षों में लगातार ऊपर गया है। साल 2023 में जहां रोजाना करीब 35 करोड़ ट्रांजेक्शन होते थे, वहीं अगस्त 2024 तक यह संख्या बढ़कर 50 करोड़ प्रतिदिन हो गई थी। अब महज एक साल बाद, भारत ने 70 करोड़ का आंकड़ा भी पार कर लिया है।
यूपीआई से हर दिन 65 करोड़ ट्रांजेक्शन
सरकार की ओर से अब अगला बड़ा लक्ष्य यह तय किया गया है कि यूपीआई के ज़रिए रोजाना 1 बिलियन यानी 100 करोड़ ट्रांजेक्शन तक पहुंचा जाए। जिस रफ्तार से यूपीआई को अपनाया जा रहा है, उसे देखते हुए यह लक्ष्य अब बहुत दूर नहीं लगता।
जुलाई 2025 में यूपीआई के माध्यम से हर दिन औसतन 65 करोड़ ट्रांजेक्शन हो रहे थे, लेकिन अगस्त की शुरुआत में सैलरी ट्रांसफर, किराया जमा, बिजली-पानी के बिल जैसे जरूरी भुगतान के कारण अचानक यह संख्या 70 करोड़ को पार कर गई।
यही नहीं पिछले महीने यानी जुलाई 2025 में कुल 1.95 अरब यूपीआई ट्रांजेक्शन दर्ज किए गए, जिनकी कुल वित्तीय कीमत 25 लाख करोड़ रुपये से अधिक रही।
ग्रामीण इलाकों में भी पहुंच
आज भारत में 85 प्रतिशत से अधिक डिजिटल लेन-देन यूपीआई के माध्यम से हो रहे हैं। इतना ही नहीं विश्व स्तर पर होने वाले सभी डिजिटल ट्रांजेक्शंस में लगभग 50 प्रतिशत हिस्सेदारी अकेले भारत की है।
यह वैश्विक मंच पर भारत की तकनीकी क्षमता और भुगतान ढांचे की ताकत को दर्शाता है। यूपीआई की सफलता के पीछे कई कारण हैं यह रीयल टाइम भुगतान की सुविधा देता है, इस्तेमाल में आसान है, और ज़्यादातर मामलों में ट्रांजेक्शन फीस शून्य होती है।
छोटे दुकानदारों, किसानों, छात्रों से लेकर बड़े कारोबारी और संस्थान तक, हर कोई आज यूपीआई का लाभ उठा रहा है। यहां तक कि ग्रामीण इलाकों में भी इसकी पहुंच अब तेज़ी से बढ़ रही है।
भारत के डिजिटल इकोनॉमी विजन को मजबूती
भारत अब नकदी पर निर्भरता छोड़कर पूरी तरह से डिजिटल भविष्य की ओर बढ़ रहा है। यूपीआई की यह उड़ान न केवल भारत के डिजिटल इकोनॉमी विजन को मजबूत करती है, बल्कि इसे एक वैश्विक मॉडल के रूप में भी स्थापित कर रही है।
2 अगस्त का दिन इस बदलाव का प्रतीक बन गया है, जिसने यह दिखा दिया कि भारत अब दुनिया का डिजिटल भुगतान राजधानी बनने की ओर अग्रसर है।