UNSC में भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत ने पाकिस्तान को खुलकर घेरा और उसे वैश्विक आतंकवाद का बड़ा केंद्र करार दिया। भारत ने साफ शब्दों में कहा कि अब कूटनीतिक नरमी का दौर खत्म हो चुका है और जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को पूरी तरह बंद नहीं करता, तब तक किसी भी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।
आतंक रुका तो ही बहाल होगी सिंधु जल संधि
UNSC में भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार: संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि हरीश परवथनेनी ने स्पष्ट किया कि सिंधु जल संधि भारत ने 65 वर्ष पहले शांति और सद्भावना की भावना से की थी।
लेकिन पाकिस्तान ने उसी दौरान भारत के खिलाफ तीन युद्ध लड़े और हजारों आतंकी हमलों को अंजाम दिया।
भारत ने कहा कि जब एक पक्ष लगातार हिंसा फैलाए, तो संधि की भावना अपने आप खत्म हो जाती है।
पहलगाम हमला: आतंक के समर्थन का सबूत
भारतीय राजदूत ने अप्रैल 2025 में हुए पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख किया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारत ने इस हमले को पाकिस्तान के लगातार आतंकी समर्थन का प्रत्यक्ष प्रमाण बताया। इसी के साथ यह स्पष्ट कर दिया गया कि आतंकवाद के खात्मे तक सिंधु जल संधि निलंबित ही रहेगी।
पाकिस्तान की घरेलू राजनीति पर सवाल
UNSC में भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार: भारत ने पाकिस्तान के आंतरिक हालात पर भी गंभीर सवाल उठाए। भारतीय प्रतिनिधि ने पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को जेल में डाले जाने, उनकी पार्टी पर प्रतिबंध और सेना द्वारा किए गए तथाकथित ‘संवैधानिक तख्तापलट’ का जिक्र किया। भारत ने कहा कि पाकिस्तान में जनता की इच्छा का सम्मान करने का यह तरीका दुनिया के सामने उसके लोकतांत्रिक चरित्र को उजागर करता है।
कश्मीर और लद्दाख भारत के अविभाज्य अंग
भारत ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख पर पाकिस्तान के सभी दावों को सिरे से खारिज करते हुए दोहराया कि ये क्षेत्र भारत के अभिन्न अंग थे, हैं और हमेशा रहेंगे। भारत ने कहा कि पाकिस्तान हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत को नुकसान पहुंचाने की जुनूनी कोशिश करता है, लेकिन सच्चाई बदली नहीं जा सकती।
UNSC में भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार: UNSC सुधारों की जोरदार मांग
UNSC में भारत का पाकिस्तान पर करारा प्रहार: अंत में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। भारत ने कहा कि लगभग 80 साल पुरानी यह संस्था आज की वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित नहीं करती और यदि इसे प्रासंगिक बनाए रखना है, तो इसमें तुरंत और ठोस बदलाव जरूरी हैं।

