Ukraine: कई सालों से रूस के हमले झेल रहे यूक्रेन को एक बार फिर अमेरिका से समर्थन मिला है। हालांकि यह समर्थन पूरी तरह निस्वार्थ या स्थायी नहीं माना जा सकता। हाल ही में दोनों देशों के बीच जो रणनीतिक डील हुई है, उसके तहत अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों और ऊर्जा संसाधनों तक विशेष पहुंच दी गई है। यह डील आर्थिक पुनर्निर्माण और निवेश के नाम पर की गई है, लेकिन इसमें कई शर्तें और असमंजस भी छिपे हुए हैं।
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Ukraine: दस सालों तक यूक्रेन के पुनर्निर्माण में किया जाएगा
डील के अनुसार अमेरिका को यूक्रेन में नए खनन प्रोजेक्ट शुरू करने की अनुमति दी गई है। इन प्रोजेक्ट्स से होने वाली कमाई का एक हिस्सा ‘यूएस-यूक्रेन रिकंस्ट्रक्शन इन्वेस्टमेंट फंड’ में जाएगा, जिसका उपयोग अगले दस सालों तक यूक्रेन के पुनर्निर्माण में किया जाएगा। हालांकि, यूक्रेनी सरकार का कहना है कि इस डील में यूक्रेन की संप्रभुता सुरक्षित रखी गई है और जमीन के नीचे मौजूद खनिजों पर मालिकाना हक यूक्रेन का ही रहेगा।
यूक्रेन ने व्यापारिक इस्तेमाल नहीं किया
यूक्रेन के पास दुनिया के सबसे अहम 22 रेयर अर्थ एलिमेंट्स और 17 जरूरी खनिज मौजूद हैं। इनमें ग्रेफाइट, लिथियम, टाइटेनियम, बेरिलियम और यूरेनियम जैसे खनिज शामिल हैं, जो आधुनिक तकनीकी उपकरणों, ग्रीन एनर्जी सिस्टम, हथियारों और रोजमर्रा की जरूरी वस्तुओं के निर्माण में काम आते हैं। इन खनिजों की अनुमानित कीमत करीब 320 अरब डॉलर है। इसके बावजूद अभी तक यूक्रेन ने इनका बड़े स्तर पर व्यापारिक इस्तेमाल नहीं किया है।
ट्रंप जैसे नेताओं के बयानों ने किया संदेह पैदा
यूक्रेनी प्रधानमंत्री डेनिस शमिहाल ने इस समझौते को ‘बराबरी और साझेदारी’ वाला करार दिया है, लेकिन अमेरिकी राजनीति में ट्रंप जैसे नेताओं के बयानों ने संदेह पैदा कर दिए हैं। ट्रंप ने फिर से यह संकेत दिया है कि अगर वे सत्ता में आते हैं तो अमेरिका यूक्रेन को सैन्य सुरक्षा की गारंटी नहीं देगा। इससे यह आशंका भी उठती है कि अमेरिका किसी भी वक्त इस डील से पीछे हट सकता है। इस डील के जरिए अमेरिका ने यूक्रेन में न सिर्फ आर्थिक रूप से पैर जमाया है, बल्कि उसकी रणनीतिक स्थिति को भी प्रभावित किया है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में यह साझेदारी वाकई यूक्रेन के लिए फायदेमंद साबित होती है या फिर एक बार फिर वह किसी बड़े ताकतवर देश की छाया में अपना नियंत्रण खो बैठता है।
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