Uniform Civil Code: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह के नेतृत्व में उत्तराखंड में UCC लागू हो गया है। उन्होनें इसे लागू करते हुए कहा कि अगर कपल लिव इन में रहता है और इस दौरान बच्चा होता है तो उसे लीगल माना जायेगा और सारे अधिकार दिए जायेंगे। साथ ही हलाला और बहुविवाह जैसी कुप्रथायें भी आज से खत्म हो जाएगी।
उत्तराखंड में सोमवार यानि 27 जनवरी, 2025 से UCC यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू हो गया है। इस एक्ट के तहत अब सभी नागरिकों के लिए एक सामान नियम होंगे फिर वो चाहे किसी भी धर्म, जाती या लिंग के हो। इसे लागू करते हुए UCC ने कहा कि इस ये कानून सभी पर एकसमान अधिकार और जिम्मेदारियों को सुनिश्चित तो करेगा ही साथ ये समाज में एकरूपता भी लेकर आएगा। इस कानून के तहत हलाला और बहुविवाह जैसी कुप्रथाएं करने की अनुमति नहीं है। अब सभी धर्मों के लिए तलाक का कानून भी समान होगा।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मंजूरी के बाद रिटायर्ड जस्टिस रंजन प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय कमेटी ने 2 फरवरी, 2024 को यूसीसी पर ड्राफ्ट तैयार किया था, जिसे उत्तराखंड सरकार ने 4 फरवरी को मंजूरी देते हुए इसे विधानसभा में पेश करने की अनुमति देदी थी। विधानसभा में बिल पास हुआ और 18 फरवरी को राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने भी इसे मंजूरी देदी।
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आइये जानते हैं कि UCC के लागू होने से उत्तराखंड में और क्या बदलाव आये हैं।
लिव-इन के लिए भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य
अब से अगर उत्तराखंड में कोई भी जोड़ा लिव-इन में रहता है तो उसे पहले रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। उन्हें इसके लिए अपने माता-पिता की अनुमति लेनी होगी। वो अगर साथ रहते हैं तो ये भी उन्हें रजिस्ट्रार को बताना होगा और अगर वो रिश्ता खत्म करते हैं तो भी उन्हें रजिस्ट्रार को सूचित करना होगा। अगर कपल एक महीने से ज्यादा लिव-इन में रहता है तो उसे 10 हजार रुपये जुर्माना देना होगा। कपल की जानकारों पूरी तरह से गोपनीय रखी जाएगी।
60 दिन में करवाना होगा शादी का रजिस्ट्रेशन
हर धर्म अपने सांस्कृतिक तौर से शादी कर सकता है, लेकिन शादी का रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। इस एक्ट के तहत शादीशुदा जोड़ों को 60 दिन के अंदर अपनी शादी रजिस्टर करवानी होगी। शादी का रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन भी होने की सुविधा होगी ताकि सरकारी कार्यालयों के चक्कर न काटने पड़े। इसके लिए कट ऑफ 27 मार्च, 2010 रखा गया है यानी इस तारीख से हुए सभी शादियां रजिस्टर होंगी। इसके लिए 6 महीने के अवधी दी गयी है।
लिव इन में हुए बच्चे को मिलेंगे सभी अधिकार
अब से लिव-इन में जन्मा बच्चा लीगल माना जायेगा। उसे उसके पिता का नाम और सभी अधिकार दिए जायेंगे। रिश्ता टूटने पर महिला गुजरा-भत्ता की भी मांग कर सकती है।
हलाला, बहु-विवाह जैसी कुप्रथाओं पर रोक
इस्लाम में प्रचलित हलाला और बहुविवाह प्रथाओं पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी है। उत्तराखंड में रहने वाले मुस्लिम लोग अब इन दोनों ही प्रथाओं का पालन नहीं कर सकते हैं।
जैसे शादी वैसे तलाक का भी पंजीकरण अनिवार्य
इस कानून के तहत जैसे शादी का पंजीकरण जरुरी है ठीक उस ही तरह तलाक का भी पंजीकरण अनिवार्य होगा, जो वेब पोर्टल के जरिए भी किया जा सकेगा।
नहीं ले सकेंगे दूसरे धर्म से बच्चा गोद
यूसीसी के तहत सभी धर्मों को बच्चा गोद लेने का अधिकार होगा, लेकिन अपने ही धर्म का बच्चा गोद ले सकेंगे। दूसरे धर्म का बच्चा गोद लेने पर रोक लगा दी गयी है।
माता-पिता को भी संपत्ति में अधिकार
किभी व्यक्ति की मृत्यु के बाद पत्नी और बच्चों की तरह ही माता-पिता का भी संपत्ति में अधिकार होगा। संपत्ति को लेकर अगर कोई मतभेद होते हैं तो संपत्ति का हिस्सा पत्नी, बच्चे और माता-पिता में समान बांट दिया जायेगा।
बीटा-बेटी का संपत्ति पर एक समान अधिकार
इस कानून के तहत अब से माता-पिता की संपत्ति पर बेटी और बेटे दोनों का एक समान अधिकार होगा।
अनुसूचित जातियों पर UCC नहीं होगा लागू
संविधान के आर्टिकल-342 में वर्णित अनुसूचित जनजातियों को यूसीसी से बाहर रखा गया है। इन जनजातियों को रीति-रिवाजों के संरक्षण के लिहाज से इसमें नहीं रखा गया है। ट्रांसजेंडर की परंपराओं में भी किसी तरह के बदलाव नहीं है।
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