ट्रंप टैरिफ: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को एक बड़ा आर्थिक निर्णय लेते हुए घोषणा की कि 1 नवंबर 2025 से अमेरिका में आयात किए जाने वाले सभी मध्यम और भारी ट्रकों पर 25% आयात शुल्क लगाया जाएगा।
ट्रंप ने इस फैसले को अमेरिकी उद्योग और कामगारों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी कदम बताया। उन्होंने कहा कि अब अमेरिका अपने उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा, डंपिंग और अनुचित व्यापार नीतियों से बचाएगा।
यह कदम न केवल अमेरिकी निर्माण क्षेत्र को मजबूती देगा बल्कि घरेलू कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार की निर्भरता से भी राहत दिलाएगा।
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ट्रंप टैरिफ: अमेरिकी ट्रक निर्माताओं और कामगारों के हित में फैसला
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि यह फैसला अमेरिकी ट्रक निर्माताओं और कामगारों के हित में लिया गया है।
उनके मुताबिक, विदेशी कंपनियां अमेरिका के बाज़ार में अनुचित तरीके से कम दामों पर ट्रक बेचती हैं जिससे अमेरिकी उत्पादकों को भारी नुकसान झेलना पड़ता है।
उन्होंने कहा कि अब यह दौर खत्म होगा और अमेरिकी ट्रक उद्योग फिर से मजबूत स्थिति में लौटेगा।
ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को एक संरक्षणवादी नीति के रूप में देखा जा रहा है जो अमेरिकी अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भरता की दिशा में ले जाने का प्रयास है।
न्यू टैरिफ डालेगा असर
इस निर्णय का असर कई देशों पर पड़ेगा, जिनमें मेक्सिको, कनाडा, जापान, जर्मनी और फिनलैंड प्रमुख हैं।
इनमें से मेक्सिको अमेरिका को सबसे ज्यादा मध्यम और भारी ट्रक निर्यात करता है। आंकड़ों के मुताबिक 2019 से अब तक मेक्सिको से अमेरिका को ट्रक निर्यात में तीन गुना वृद्धि हुई है, जो अब करीब 3.4 लाख यूनिट तक पहुंच चुकी है।
फिलहाल अमेरिका, मेक्सिको और कनाडा के बीच बने USMCA समझौते के तहत इन देशों के बीच ट्रकों का आयात-निर्यात बिना शुल्क के किया जाता है,
बशर्ते कि ट्रक का 64 प्रतिशत मूल्य नॉर्थ अमेरिका से आता हो, लेकिन नया टैरिफ इस व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है, जिससे तीनों देशों के व्यापारिक रिश्तों पर असर पड़ने की संभावना है।
कंपनियों की बढ़ेगी लागत
इस नीति का असर कई बड़ी कंपनियों पर भी दिखेगा। Stellantis, जो ‘Ram’ ब्रांड के ट्रक और वैन बनाती है, उसे अब मैक्सिको में बने वाहनों की अधिक लागत झेलनी पड़ेगी।
वहीं स्वीडन की कंपनी Volvo Group, जो मैक्सिको के मोंटेरे शहर में 700 मिलियन डॉलर की लागत से नया ट्रक निर्माण संयंत्र बना रही है,
उसे भी नुकसान का अंदेशा है क्योंकि नया टैरिफ लागू होने के बाद उत्पादन की लागत बढ़ जाएगी।
हालांकि इस नीति से Peterbilt, Kenworth और Freightliner जैसी अमेरिकी कंपनियों को लाभ मिल सकता है क्योंकि विदेशी प्रतिस्पर्धा कम होने से उनके वाहनों की बिक्री बढ़ने की उम्मीद है।
1 नवंबर से लागू होगा टैरिफ
ट्रंप ने पहले कहा था कि यह टैरिफ 1 अक्टूबर 2025 से लागू हो सकता है, लेकिन अब इसे एक महीने बढ़ाकर 1 नवंबर कर दिया गया है।
उनका कहना है कि इससे उद्योगों को नई व्यवस्था के लिए तैयारी का समय मिलेगा।
वर्तमान में अमेरिका, जापान और यूरोपीय संघ के साथ हुए व्यापार समझौतों के तहत हल्के वाहनों पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाता है, लेकिन बड़े वाहनों के लिए यह नीति पहले स्पष्ट नहीं थी।
अब यह आदेश भारी वाहनों पर भी लागू होगा, जो अमेरिकी बाजार में बड़ा बदलाव लाएगा।
अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा असर
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम घरेलू उद्योग के लिए फायदेमंद तो हो सकता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह विवाद भी खड़ा कर सकता है।
अमेरिका के पड़ोसी देशों, खासकर मेक्सिको और कनाडा के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ सकता है।
वहीं बढ़ी हुई लागत का असर सीधे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा क्योंकि ट्रकों की कीमतें बढ़ने की संभावना है।
इसके साथ ही वैश्विक ऑटोमोबाइल कंपनियां अपने निवेश और उत्पादन रणनीतियों में भी बदलाव कर सकती हैं ताकि टैरिफ के असर को कम किया जा सके।
कुल मिलाकर, डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला अमेरिकी ट्रक उद्योग को मजबूती देने और विदेशी निर्भरता घटाने की दिशा में एक अहम कदम है।
हालांकि यह कदम अमेरिकी अर्थव्यवस्था को अल्पकालिक लाभ तो देगा, लेकिन दीर्घकालिक रूप से इससे अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्ते जटिल हो सकते हैं।
आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह नया टैरिफ अमेरिकी उद्योग को कितनी राहत देता है और वैश्विक बाजार में इसका कितना असर देखने को मिलता है।