अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी के यहूदी विरोधी धार्मिक भेदभाव से निपटने के लिए सख्त कदम उठाते हुए इस पर एक्शन लिया है। ट्रंप प्रशासन ने कोलंबिया यूनिवर्सिटी का 400 मिलियन डॉलर का अनुदान रद्द कर दिया है।
ऐसे ही कई यूनिवर्सिटी भारत में भी हैं, जिनमें अलीगढ यूनिवर्सिटी एक है। इस यूनिवर्सिटी में अक्सर धार्मिक भेदभाव से ग्रसित हिंदू विरोधी घटनाएं सामने आती रही हैं। ये यूनिवर्सिटी भी भारत सरकार के पैसे से चलती है। ऐसे में लोग पूछ रहे हैं कि अमेरिका से सीख लेकर भारत में भी ऐसे सख्त कदम कब उठाए जाएंगे?
Trump administration cancels $400 million in federal dollars for Columbia University
USA- कोलंबिया कैंपस में बढ़ती यहूदी विरोधी धार्मिक भेदभाव की भावना

अमेरिका का ट्रंप प्रशासन धार्मिक भेदभाव की भावना को ख़त्म करने के लिए सख्त कदम उठाता हुआ नजर आ रहा है। शुक्रवार को ट्रंप प्रशासन की तरफ से कहा गया कि कोलंबिया यूनिवर्सिटी के साथ 400 मिलियन डॉलर के अनुबंध को रद्द किया जाता है। इस यूनिवर्सिटी पर आरोप है कि उसने कैंपस में यहूदी विरोधी धार्मिक भेदभाव को रोका नहीं। कैंपस में यहूदी विरोधी नारे लगते हुए नजर आये। अब इस पर कैंपस ने भी सख्त कदम लेने की बात कही है।
कोलंबिया यूनिवर्सिटी का जवाब
USA- कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने ट्रंप सरकार के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो इन आरोपों की जांच कर रहे हैं और वो प्रयास करेंगे कि वो सरकार के इस फैसले को बहाल करें। “हम कोलंबिया की कानूनी जिम्मेदारियों को गंभीरता से लेते हैं और इस घोषणा को लेकर पूरी तरह सचेत हैं। हम यहूदी विरोधी भावनाओं से लड़ने और अपने छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों की सुरक्षा और भलाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
गाजा युद्ध और कैंपस पर बढ़ता विवाद
USA- यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कोलंबिया यूनिवर्सिटी पहले से ही गाजा युद्ध और उसके विरोध में होने वाले प्रदर्शनों को लेकर विवादों में थी। कई रिपब्लिकन सांसदों और कुछ डेमोक्रेट्स ने आरोप लगाया था कि विश्वविद्यालय यहूदी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में असफल रहा है।
पिछले साल वसंत ऋतु में, कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रशासन ने उन छात्रों से टकराव किया था जो विश्वविद्यालय से इजराइल से जुड़े व्यवसायों में अपने निवेश वापस लेने की मांग कर रहे थे। अप्रैल में, इन प्रदर्शनों के कारण विश्वविद्यालय ने सभी कक्षाओं को ऑनलाइन कर दिया था। इसके चार महीने बाद, विश्वविद्यालय की अध्यक्ष मिनूश शफिक ने इस्तीफा दे दिया, जिनका कार्यकाल महज एक साल ही चला और जिसे इन प्रदर्शनों ने पूरी तरह प्रभावित किया।
ट्रंप का सख्त रुख

USA- राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कैंपस में हो रहे फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों की कड़ी आलोचना की है। अपने पदभार संभालने के कुछ ही दिनों बाद, उन्होंने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए, जिसमें न्याय विभाग को “वामपंथी, अमेरिका विरोधी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में यहूदी-विरोधी नस्लवाद की जांच और दंडित करने” का निर्देश दिया गया।
कोलंबिया उन 10 विश्वविद्यालयों में से एक है जिनकी न्याय विभाग जांच कर रहा है। इन संस्थानों पर आरोप है कि वे यहूदी छात्रों और शिक्षकों को गैरकानूनी धार्मिक भेदभाव से बचाने में असफल रहे हैं।
भारत सरकार कब उठाएगी ऐसे कदम?

USA- ऐसे ही एक यूनिवर्सिटी भारत में भी है जिसे अलीगढ़ यूनिवर्सिटी के नाम से जाना जाता है। इस यूनिवर्सिटी में अक्सर हिंदू विरोधी घटनाएं सामने आती हैं। यह यूनिवर्सिटी भी भारत सरकार के आर्थिक अनुदान से चलती है। हाल ही में यहाँ हिन्दू छात्रों को होली मिलन कार्यक्रम करने की अनुमति न देकर धार्मिक स्वतन्त्रता के उल्लंघन का मामला सामने आया था। भारत की संवैधानिक आरक्षण व्यवस्था भी इस विश्वविद्यालय में लागू नहीं हो पाई है जिससे हर वर्ष हजारों अनुचित जाति/जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के हिन्दू छात्रों के अधिकारों का हनन हो रहा है।
दिल्ली के जेएनयू, जामिया मिलिया इस्लामिया, कोलकाता की जादवपुर यूनिवर्सिटी, हैदराबाद की यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद से लेकर देश की कई युनिवर्सिटियों में कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के यहूदी भेदभाव की तर्ज पर हिन्दू विरोधी धार्मिक भेदभाव के मामले सामने आते रहे हैं। पर अमेरिका जैसा सख्त कदम देखने में नहीं आया है। ऐसे में भारत में भी अमेरिका से सीख लेकर ऐसे संस्थानों पर सख्त कदम उठाने की माँग की जा रही है, जो देश में सांप्रदायिक भेदभाव और कट्टरता को बढ़ावा देते हैं।
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