Trade strike on Bangladesh: पाकिस्तान पर ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब भारत पाकिस्तान का सपोर्ट करने वले देशों पर ट्रेड स्ट्राइक कर रहा है। अब भारत ने बांग्लादेश से आने वाले कई उत्पादों पर पाबंदियाँ लगा दी हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इससे बांग्लादेश को करीब 770 मिलियन डॉलर (करीब 6415 करोड़ रुपये) का आर्थिक नुकसान हो सकता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव बांग्लादेश के गारमेंट और प्रोसेस्ड फूड आइटम्स के उद्योग पर पड़ेगा। इस्लामी सरकार के नेतृत्व में गंभीर आर्थिक चुनौतियों और आंतरिक अस्थिरता से जूझ रहे बांग्लादेश के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है। बिजनेस थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की 18 मई 2025 को प्रकाशित रिपोर्ट में भारत की ओर से लगाई गई पाबंदियों से बांग्लादेश को यह नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है। यह उसके कुल आयात का करीब 42% है। इन पाबंदियों के तहत कई उत्पादों का कारोबार अब सड़क मार्ग की जगह केवल निश्चित किए बंदरगाहों तक सीमित कर दिया गया है।
भारत प्रतिबंध से बांग्लादेश को हजारों करोड़ का झटका
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) के निर्देश पर 18 मई 2025 से बांग्लादेश से आयातित कई श्रेणियों के सामानों पर तत्काल बंदरगाह प्रतिबंध लागू कर दिए हैं। इस निर्णय के तहत प्रमुख वस्तुएँ जैसे वस्त्र, तैयार खाद्य पदार्थ, प्लास्टिक और पीवीसी उत्पाद, और लकड़ी का फर्नीचर अब केवल चुनिंदा समुद्री बंदरगाहों से ही भारत में आ सकेंगे, जबकि भूमि मार्गों से इनका आयात पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। नई नीति के अनुसार, बांग्लादेश से आने वाले कपड़े जो करीब 618 मिलियन डॉलर (करीब 5130 करोड़ रुपए) के होते हैं, अब केवल दो बंदरगाहों के जरिए ही भारत में लाए जा सकेंगे। इनके सड़क मार्ग से आयात पर पाबंदी लगा दी गई है। इसी तरह की पाबंदी फूड प्रोसेस्ड आयटम, फ्रूट ड्रिंक्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, कपास और अन्य प्रसंस्कृत उत्पादों पर भी लगाई गई है।
बांग्लादेश से इन वस्तुओं के आयात पर भी लगाया प्रतिबंध
अधिसूचना के अनुसार, बांग्लादेश से रेडीमेड गारमेंट्स का आयात अब किसी भी सड़क मार्ग से नहीं होगा। इनका आयात अब केवल मुंबई के न्हावा शेवा और कोलकाता के समुद्री बंदरगाहों से ही होगा। इसके अतिरिक्त असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के किसी भी भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (एलसीएस)/एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी), तथा पश्चिम बंगाल में चंगराबांधा और फुलबारी के एलसीएस के माध्यम से फ्रूट्स ड्रिंक, कार्बोनेटेड पेय, बेक्ड सामान, स्नैक्स, चिप्स, कन्फेक्शनरी, कपास और सूती धागे, प्लास्टिक, पीवीसी और लकड़ी का फर्नीचर आयात करने पर पाबंदी लगाई गई है।
भारत के साथ कारोबारी संबंधों से ही बदले थे वहां के हालात
उल्लेखनीय है कि भारतीय कपड़ा निर्माता लंबे समय से इस बात को लेकर चिंतित रहे हैं कि बांग्लादेशी प्रतिस्पर्धियों को अनुचित लाभ मिल रहा है। उन्हें चीन से बिना शुल्क के कपड़ा आयात और सरकारी निर्यात सब्सिडी का फायदा मिलता है, जिससे वे भारतीय बाजार में 10-15% तक सस्ती दरों पर सामान बेच पाते हैं। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने नई पाबंदी इन्हीं तथ्यों को ध्यान में रखकर लगाए हैं।
ये प्रतिबंध चीन की ओर बांग्लादेश के बढ़ते कूटनीतिक झुकाव के प्रति भारत की प्रतिक्रिया भी है। इस साल फरवरी में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट में वित्त वर्ष 2026-27 के लिए कपड़ा मंत्रालय के बजट में 19% की वृद्धि की थी, जिससे उद्योग को महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिला है। वित्त वर्ष 2024-25 के 4417.03 करोड़ रुपये की तुलना में अब मंत्रालय को 5272 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। साथ ही सरकार ने कपास उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए 5 वर्षीय कपास मिशन शुरू करने की घोषणा भी की है।