Thursday, November 21, 2024

Tirupati Balaji: क्यों तिरुपति मंदिर में चढ़ाये जाते हैं बाल, बाद में इन बालों का होता क्या है?

Tirupati Balaji: विश्व प्रसिद्द तिरुपति बालाजी में कई प्रथाएं प्रचलित हैं उन्हें में से है बालों का दान करने की प्रथा। क्या आपको पता है यहां बालों का दान क्यों किया जाता है। बाद में इन्हें भक्तों के बालों की नीलामी भी की जाती है। आइये आज हम इन दोनों सवालों का जवाब जानेंगे।

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हाल ही में तिरुपति लड्डू विवाद काफी चर्चा में है। यहां लड्डुओं में कथित तौर पर घी की जगह एनिमल फैट का इस्तेमाल करने का मामला सामने आया है।

गौरतलब है कि तिरुपति बालाजी का मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्द मंदिरों में से एक है। ये मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के तिरुपति के पास तिरुमाला की पहाड़ियों पर स्थित है। इस मंदिर में भगवन विष्णु की श्री वैंकटेश्वर के रूप में पूजा की जाती है। यहां भक्तों द्वारा लाखों का दान किया जाता है इसलिए ये सबसे अमीर मंदिरों में से एक कहलाता है।

क्यों किया जाता है तिरुपति में बालाजी का दान

Tirupati Balaji: यहां सबसे प्रचलित प्रथा बालों का दान की है। ऐसी मान्यता है बाल व्यक्ति को बहुत ही प्रिय होते हैं। इसलिए अगर कोई तिरुपति बालाजी मंदिर में जितने बालों का दान करता है तो भगवान उसे उतना ही गुना धनि बना देते हैं। कहा ये भी जाता है कि जो भी व्यक्ति मंदिर में अपने बालों का दान करके आता है उसके जीवन से सभी दुख और बुराइयां खत्म हो जाती है।

दान किये गए बालों का क्या होता है

इंडिया टुडे की जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, साल 2018 में तिरुपति बालाजी में भक्तों द्वारा दान किये गए बालों से की मासिक नीलामी से 6. 39 करोड़ रुपये की कमाई मंदिर को हुई थी। तिरुमाला तिरुपति देवमाला स्थानम ट्रस्ट इस नीलामी (टीटीडी) इस नीलामी का आयोजन हर साल के पहले गुरुवार को किया जाता है।

दान किये गए बालों को किया जाता है साफ

बता दें कि हर साल विश्व के अलग-अलग कोनों से लाखों भक्त यहां 500-600 टन बालों का दान करके जाते हैं। मंदिर द्वारा इन बालों को साफ़ किया जाता है। इस प्रक्रिया में पहले तो बालों को उबाला जाता है, फिर उसके बाद इन्हें धोया जाता है। जब ये बाल सुख जाते हैं तब इन्हें बड़े गोदामों में रखने के लिए भेज दिया जाता हैं।

नीलामी से पहले बालों को अलग-अलग श्रेणी में बांटा जाता है। इसके बाद लंबाई के हिसाब से बालों की पांच श्रेणियां तैयार की जाती हैं जिसमें 5 से लेकर 31 इंच तक के बाल होते हैं। इस नीलामी से मंदिर को अच्छी-खासी कमाई होती है।

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