तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: बिहार की सियासत में एक बार फिर रोजगार का मुद्दा गरम है। विधानसभा चुनाव की दस्तक से ठीक पहले राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने एक ऐसा वादा किया है, जिसने बिहार की राजनीति में हलचल मचा दी है।
तेजस्वी ने घोषणा की है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है तो उनका पहला कैबिनेट फैसला यही होगा — “हर घर में एक सरकारी नौकरी” देना।
तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी सरकार 20 महीनों के भीतर यह वादा पूरा करेगी। उनका कहना है कि यह कोई राजनीतिक जुमला नहीं बल्कि “वैज्ञानिक और व्यावहारिक योजना” है।
उन्होंने कहा कि सरकार बनने के 20 दिनों के भीतर इस पर एक नया अधिनियम (Law) लाया जाएगा, ताकि किसी भी परिवार का सदस्य बेरोजगार न रहे।
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बिहार में सरकारी नौकरियों की स्थिति
राज्य सरकार द्वारा कराए गए जाति आधारित सर्वेक्षण के मुताबिक, बिहार में कुल 2.76 करोड़ परिवार रहते हैं। इनमें से सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 16.27 लाख सरकारी पद हैं।
तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: इनमें से 11.54 लाख पदों पर कर्मचारी कार्यरत हैं, जबकि 4.73 लाख पद फिलहाल रिक्त हैं — यानी लगभग 29 प्रतिशत सरकारी पद खाली हैं।
किन विभागों में सबसे ज़्यादा खाली पद हैं
विभाग रिक्त पदों की संख्या
शिक्षा विभाग 2.17 लाख
स्वास्थ्य विभाग 65,000
गृह विभाग 42,414
ग्रामीण विकास विभाग 11,784
पंचायती राज विभाग 5,551
पशुपालन विभाग 4,814
ग्रामीण कार्य विभाग 3,346
कृषि विभाग 3,015
पथ निर्माण विभाग 2,465
नगर विकास विभाग 1,948
बिहार पुलिस में भी भारी रिक्तियां
तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: बिहार पुलिस में कुल स्वीकृत पद 1.70 लाख (170,516) हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 1.02 लाख (102,454) कर्मी कार्यरत हैं। यानी पुलिस विभाग में 68,062 पद रिक्त हैं, जो कुल बल का लगभग 40 प्रतिशत है।
अगर पुलिस और अन्य विभागों के खाली पदों को जोड़ा जाए तो बिहार में कुल मिलाकर 5.75 लाख सरकारी पद खाली हैं।
वादे पर उठ रहे सवाल
तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: तेजस्वी यादव के इस दावे को लेकर जदयू (JDU), भाजपा (BJP) और अन्य विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि बिहार में इतनी बड़ी संख्या में नई सरकारी नौकरियां देना आर्थिक रूप से असंभव है।
वर्तमान रिक्तियों को भरने में भी वर्षों लग जाते हैं, ऐसे में “हर परिवार को नौकरी” देना महज चुनावी जुमला है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार में यदि सरकार सभी खाली पदों को भी भर दे, तब भी 2.76 करोड़ परिवारों में से केवल एक छोटा हिस्सा ही सरकारी नौकरी पा सकेगा।
इसलिए इस दावे को लागू करने के लिए नया ढांचा, बजट और कानून बनाना एक बड़ी चुनौती होगी।
जनता की उम्मीदें और आने वाला चुनाव
तेजस्वी यादव का बड़ा ऐलान: फिलहाल बिहार में बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक है। यही कारण है कि तेजस्वी यादव का यह वादा युवाओं के बीच चर्चा का विषय बन गया है।
बेरोजगार युवाओं के लिए “हर घर नौकरी” का नारा उम्मीद की किरण जैसा लग रहा है, लेकिन आर्थिक यथार्थ इसे लागू करने में सबसे बड़ी बाधा बन सकता है।
अब देखना यह होगा कि अगर आने वाले विधानसभा चुनावों में महागठबंधन को सत्ता मिलती है, तो क्या तेजस्वी यादव अपने इस वादे को कानूनी रूप से लागू कर पाएंगे — या यह भी बिहार की राजनीति में एक और ‘जुमला’ बनकर रह जाएगा।