Shibu Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने सोमवार, 4 अगस्त को दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल में अंतिम सांस ली।
वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे और 19 जून से अस्पताल में भर्ती थे। उनके निधन की पुष्टि उनके बेटे और झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए की।
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर उन्होंने लिखा, “आदरणीय दिशोम गुरुजी हम सभी को छोड़कर चले गए हैं। आज मैं शून्य हो गया हूं।”
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Shibu Soren: 1972 में की पार्टी की स्थापना
शिबू सोरेन झारखंड की राजनीति के स्तंभ माने जाते थे। उन्होंने झारखंड की राज्य स्थापना से लेकर आदिवासी अधिकारों की लड़ाई में एक अहम भूमिका निभाई। 1972 में झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना कर उन्होंने आदिवासी समुदाय की आवाज को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया।
वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र में कोयला मंत्री के तौर पर भी सेवा दी। उनके नेतृत्व में झामुमो ने झारखंड के राजनीतिक और सामाजिक जीवन को नई दिशा दी।
सार्वजनिक जीवन से दूरी
हाल के वर्षों में बढ़ती उम्र और बीमारियों के कारण शिबू सोरेन ने सार्वजनिक जीवन से धीरे-धीरे दूरी बना ली थी। उन्हें रीनल (किडनी) से जुड़ी समस्याएं थीं और वे व्हीलचेयर पर निर्भर हो गए थे। वर्ष 2020 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित होने के बाद वे राजनीति में बहुत अधिक सक्रिय नहीं रहे,
लेकिन पार्टी के भीतर उनका मार्गदर्शन हमेशा जारी रहा। झामुमो के राष्ट्रीय अधिवेशन जैसे अहम कार्यक्रमों में उनकी मौजूदगी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रही।
दिशोम गुरु” की उपाधि
शिबू सोरेन का राजनीतिक सफर बेहद संघर्षपूर्ण रहा। एक समय था जब उन्होंने आदिवासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा और जल-जंगल-जमीन के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। उनके इसी संघर्ष ने उन्हें “दिशोम गुरु” की उपाधि दिलाई,
जिससे वे पूरे झारखंड और आदिवासी समाज में एक श्रद्धेय नेता बन गए। उन्होंने झारखंड को अलग राज्य बनाने की लड़ाई में लंबा संघर्ष किया, जो अंततः 2000 में सफल हुआ।
झारखंड में शोक की घोषणा
उनकी मृत्यु से न सिर्फ झारखंड, बल्कि पूरे देश की राजनीति को एक गहरा आघात लगा है। कई राष्ट्रीय नेताओं, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, आदिवासी संगठनों और आम जनता ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।
झारखंड सरकार द्वारा राज्य में शोक की घोषणा की गई है और अंतिम संस्कार की तैयारियों के लिए प्रशासन अलर्ट पर है। शिबू सोरेन का जाना एक युग का अंत है। वे न सिर्फ एक राजनेता थे,
बल्कि एक आंदोलनकारी, विचारक और जननेता के रूप में इतिहास में दर्ज रहेंगे। उनका जीवन संघर्ष, समर्पण और नेतृत्व का प्रतीक बनकर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।