सुप्रीम कोर्ट का दीवाली गिफ्ट: दीवाली से पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों को राहत दी है। कोर्ट ने ग्रीन पटाखों की बिक्री और जलाने की अनुमति दे दी है।
इस फैसले से त्योहार की रौनक बढ़ेगी, लेकिन साथ ही कई सख्त शर्तें भी लगाई गई हैं ताकि प्रदूषण पर नियंत्रण रखा जा सके।
मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश जारी किया।
कोर्ट ने कहा कि यह फैसला लोगों की धार्मिक भावना और पटाखा उद्योग से जुड़े लोगों के हितों को ध्यान में रखकर लिया गया है।
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क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट का दीवाली गिफ्ट: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ “ग्रीन पटाखे” ही बेचे और जलाए जा सकते हैं। कोर्ट ने माना कि 2018 से पटाखों पर रोक लगाने के बावजूद दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता में कोई खास सुधार नहीं हुआ है।
मुख्य न्यायाधीश गवई ने यह भी कहा कि हरियाणा के 14 जिले एनसीआर में आते हैं, जिससे राज्य का लगभग 70% हिस्सा पटाखा प्रतिबंध से प्रभावित होता है। इसलिए अब एक “संतुलित दृष्टिकोण” अपनाना जरूरी है।
किन्हें मिली बिक्री की इजाजत?
सुप्रीम कोर्ट का दीवाली गिफ्ट: कोर्ट ने साफ किया है कि पटाखों की बिक्री सिर्फ उन्हीं उत्पादकों को दी जाएगी जिनके पास
- NEERI (National Environmental Engineering Research Institute)
- PESO (Petroleum and Explosive Safety Organization)
का वैध लाइसेंस है।
इन लाइसेंसधारकों को 18 अक्टूबर से 21 अक्टूबर तक सीमित स्थानों पर पटाखे बेचने की अनुमति दी गई है। वहीं, कोर्ट ने पुलिस और प्रशासन को सख्त निगरानी करने का आदेश दिया है ताकि कोई भी अवैध पटाखा बाजार में न पहुंचे।
कब और कितनी देर तक फोड़ सकते हैं पटाखे?
सुप्रीम कोर्ट का दीवाली गिफ्ट: सुप्रीम कोर्ट ने दीवाली से एक दिन पहले और दीवाली वाले दिन सुबह 6 से 7 बजे और शाम 8 से 10 बजे तक पटाखे जलाने की इजाजत दी है।
इस अवधि के बाहर पटाखे जलाना कानूनन अपराध माना जाएगा।
निगरानी और कार्रवाई के निर्देश
कोर्ट ने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि —
- केवल QR कोड वाले असली ग्रीन पटाखे ही बाजार में बिकें।
- सभी पटाखों के सैंपल की जांच की जाए।
- गलत या गैर-लाइसेंस्ड पटाखे बेचने वालों के खिलाफ तुरंत कानूनी कार्रवाई की जाए।
इसके लिए पेट्रोलिंग टीमें भी तैनात करने का आदेश दिया गया है।
पर्यावरण और उत्सव के बीच संतुलन
सुप्रीम कोर्ट का दीवाली गिफ्ट: सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल पटाखों को प्रदूषण का मुख्य कारण मानना उचित नहीं है।
कोर्ट ने माना कि पराली जलाने और वाहनों से निकलने वाले धुएं की भी बड़ी भूमिका है। इसलिए लोगों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए यह “ग्रीन सॉल्यूशन” अपनाया गया है