Ronu Majumdar: भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा मानी जाने वाली बांसुरी को वैश्विक मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने वाले महान वादक पंडित रोनू मजूमदार को वर्ष 2025 में भारत सरकार द्वारा पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
यह सम्मान न केवल उनके संगीत कौशल का प्रतीक है, बल्कि उनके उस अथक प्रयास का भी मान्यता है जिससे उन्होंने बांसुरी को आधुनिक युवा पीढ़ी के बीच लोकप्रिय बनाया।
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Ronu Majumdar: संगीत साधना की शुरुआत और गुरु परंपरा
28 जुलाई, 1965 को जन्मे पंडित रोनू मजूमदार को संगीत का संस्कार विरासत में मिला। उन्होंने अपने पिता डॉ. भानु मजूमदार, पं. लक्ष्मण प्रसाद जयपुरवाले, और अंततः प्रख्यात बांसुरीवादक पं. विजय राघव राव से प्रशिक्षण प्राप्त किया।
वे मैहर घराने से जुड़ाव रखते हैं और उनके परम गुरु पं. रवि शंकर से भी उन्होंने सीखने का सौभाग्य प्राप्त किया। यह गुरु-शिष्य परंपरा उनके संगीत में गहराई और आत्मा का संचार करती है।
बांसुरी में नवाचार और अनोखी शैली
पंडित मजूमदार को बांसुरी के क्षेत्र में एक “स्टाइल मेकर” के रूप में पहचाना जाता है। उन्होंने द्रुपद गायकी और लयकारी का अनूठा मिश्रण प्रस्तुत करते हुए रागों को एक नई ऊंचाई दी है।
उनके संगीत में परंपरा की गंभीरता और नवाचार की चमक एक साथ देखने को मिलती है, जिससे वे हर उम्र के श्रोताओं से जुड़ते हैं।
विश्व रिकॉर्ड और ऐतिहासिक आयोजन
उनकी उपलब्धियों में 5,378 बांसुरीवादकों के साथ ‘वेणु नाद’ जैसे कार्यक्रम का आयोजन शामिल है, जिसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज किया गया है। इसके अलावा, 15 दिसंबर 2024 को ग्वालियर के तानसेन समारोह में उनका संगीत संयोजन ‘सम्वेद’ 546 कलाकारों के साथ हुआ।
जो ‘लार्जेस्ट हिंदुस्तानी क्लासिकल बैंड’ बन गया और यह रिकॉर्ड भी गिनीज बुक में दर्ज हो गया। ऐसे आयोजनों से उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व स्तर पर ख्याति दिलाई।
फिल्म, डॉक्यूमेंट्री और अंतरराष्ट्रीय पहचान
वे भारत की पहली I-Max फिल्म “Mystic India” के संगीतकार भी रहे हैं। 1996 में ग्रैमी अवार्ड के लिए नामांकित होकर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारतीय संगीत का गौरव बढ़ाया। फिल्म्स डिवीजन ऑफ इंडिया ने उनके जीवन और संगीत पर आधारित डॉक्यूमेंट्री ‘बांसुरीवाला’ भी बनाई है, जो उनकी कलात्मक यात्रा को दर्शाती है।
सम्मान और पुरस्कार
पंडित मजूमदार को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सम्मानित किया गया है:
- संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (2014) – बांसुरी में योगदान के लिए
- ऑल इंडिया रेडियो अवार्ड (1981)
- आदित्य विक्रम बिरला पुरस्कार (1996)
- राष्ट्रीय कुमार गंधर्व पुरस्कार (2006)
पद्म श्री 2025: क्यों मिला यह प्रतिष्ठित सम्मान
पंडित रोनू मजूमदार को 2025 में ‘पद्म श्री’ इसीलिए प्रदान किया गया, क्योंकि उन्होंने केवल बांसुरी को वाद्य यंत्र के रूप में नहीं देखा, बल्कि उसे एक सांस्कृतिक राजदूत के रूप में दुनिया भर में प्रस्तुत किया।
उनकी रचनात्मकता, नवाचार, युवा पीढ़ी से संवाद, और विश्व पटल पर भारतीय संगीत की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने के लिए यह सम्मान सटीक और सार्थक है।
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