Rohit Sharma: भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों के लिए फिटनेस के नियम और कड़े कर दिए हैं। अब टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए सिर्फ यो-यो टेस्ट पास करना ही काफी नहीं होगा,
बल्कि ब्रोंको टेस्ट भी अनिवार्य कर दिया गया है। यह टेस्ट रग्बी खेल से लिया गया है और खिलाड़ियों की सहनशक्ति, स्टैमिना और रिकवरी को परखने के लिए जाना जाता है।
38 साल की उम्र में भी वनडे कप्तान रोहित शर्मा ने इस मुश्किल टेस्ट को पास कर दिखाया। बीसीसीआई के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में आयोजित फिटनेस कैंप के दौरान रोहित ने ब्रोंको टेस्ट और यो-यो टेस्ट दोनों में सफलता हासिल की।
उनके साथ जसप्रीत बुमराह, शुभमन गिल, मोहम्मद सिराज, वाशिंगटन सुंदर, शार्दुल ठाकुर, यशस्वी जायसवाल और प्रसिद्ध कृष्णा जैसे खिलाड़ियों ने भी यह टेस्ट पास किया।
Rohit Sharma: ब्रोंको टेस्ट क्यों है खास?
क्रिकेट में फिटनेस की मांग अब पहले से कहीं ज़्यादा बढ़ गई है। लगातार मैच खेलने और यात्रा के बीच खिलाड़ी पर दबाव भी काफी रहता है। ऐसे में ब्रोंको टेस्ट खिलाड़ियों की कार्डियोवैस्कुलर क्षमता,
मानसिक ताकत और रिकवरी की सख्त परीक्षा लेता है। यो-यो टेस्ट जहां लगातार दौड़ने की क्षमता को मापता है, वहीं ब्रोंको टेस्ट उससे एक कदम आगे जाकर फिटनेस के हर पहलू को परखता है।
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टेस्ट का तरीका
ब्रोंको टेस्ट का सेटअप देखने में बेहद आसान लगता है, लेकिन यह काफी चुनौतीपूर्ण होता है।
- मैदान में चार कोन लगाए जाते हैं: 0 मीटर, 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की दूरी पर।
- खिलाड़ी को पहले 20 मीटर तक जाकर लौटना होता है।
- फिर 40 मीटर तक दौड़कर वापस आना होता है।
- इसके बाद 60 मीटर तक जाकर वापसी करनी होती है।
इस तरह एक सेट में कुल 240 मीटर की दौड़ पूरी होती है। खिलाड़ियों को ऐसे 5 सेट लगातार बिना रुके करने होते हैं। यानी कुल 1,200 मीटर दौड़ लगातार लगानी होती है।
खिलाड़ियों के लिए चुनौती
इस टेस्ट में सिर्फ गति ही नहीं, बल्कि सांसों पर नियंत्रण, स्टैमिना और लगातार ऊर्जा बनाए रखना भी अहम होता है। यही वजह है कि यह टेस्ट खिलाड़ी की शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ मानसिक मजबूती को भी परखता है।
रोहित शर्मा की प्रेरणा
रोहित शर्मा का इस टेस्ट को पास करना युवाओं के लिए बड़ा संदेश है। उन्होंने साबित कर दिया कि फिटनेस के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। मेहनत और अनुशासन से खिलाड़ी लंबे समय तक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टिक सकता है।
ब्रोंको टेस्ट को टीम इंडिया के फिटनेस मानकों में शामिल करने से साफ है कि बीसीसीआई अब खिलाड़ियों से सिर्फ हुनर ही नहीं, बल्कि उच्चतम स्तर की फिटनेस भी चाहता है। आने वाले समय में यह टेस्ट भारतीय क्रिकेट में फिटनेस का नया पैमाना बन सकता है।