Relationship: आजकल ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं जहां पुरुषों को अपनी पत्नी से मानसिक, भावनात्मक या कानूनी रूप से प्रताड़ित किया जाता है। अक्सर समाज और कानून महिलाओं को पीड़ित मानकर चलते हैं, लेकिन क्या हो जब कोई पुरुष परेशान हो? क्या उसे भी कानूनी संरक्षण प्राप्त है? जवाब है—हां। भारतीय कानून में ऐसे कई प्रावधान हैं जो पुरुषों को अधिकार देते हैं ताकि वे अपने आत्मसम्मान और सुरक्षा की रक्षा कर सकें।
Table of Contents
महिलाओं को मिले अधिकारों का गलत इस्तेमाल भी होता है
Relationship: अक्सर महिलाओं को घरेलू हिंसा, दहेज, मानसिक प्रताड़ना जैसे मामलों में विशेष कानूनी संरक्षण दिया गया है। लेकिन कुछ महिलाएं इन अधिकारों का गलत इस्तेमाल कर झूठे केस दर्ज करवाकर पति और उसके परिवार को मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान करती हैं। कई पुरुष ऐसे मामलों में आत्महत्या तक कर लेते हैं।
2021 के NCRB डेटा के अनुसार, 1,64,033 आत्महत्याओं में से 81,063 शादीशुदा पुरुषों ने आत्महत्या की, जबकि महिलाओं की संख्या 28,680 थी। इस आंकड़े से साफ है कि शादीशुदा पुरुषों की मानसिक स्थिति पर ध्यान देना अब ज़रूरी हो गया है।
भारत में पुरुषों के लिए क्या है कानून की स्थिति?
Relationship: भारत में घरेलू हिंसा का कानून (Protection of Women from Domestic Violence Act) केवल महिलाओं के लिए बना है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि पुरुष पूरी तरह से असहाय हैं। कुछ कानूनी प्रावधान ऐसे हैं जिनके ज़रिए पुरुष भी अपनी बात अदालत और पुलिस के सामने रख सकते हैं।
मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के खिलाफ शिकायत का अधिकार
Relationship: अगर पत्नी बार-बार आत्महत्या की धमकी देती है, शारीरिक हिंसा करती है, मानसिक रूप से परेशान करती है, या बार-बार पति की मर्दानगी पर सवाल उठाती है, तो पुरुष 100 नंबर पर कॉल कर सकते हैं या सीधे पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कर सकते हैं। इसके अलावा 1091 महिला हेल्पलाइन नंबर पर भी कॉल करके मदद ली जा सकती है, क्योंकि अब ये जेंडर-न्यूट्रल बनती जा रही हैं।
प्रॉपर्टी पर स्वामित्व का अधिकार
Relationship: यदि पति ने खुद की कमाई से कोई प्रॉपर्टी खरीदी है, तो उस पर केवल उसका अधिकार होता है। पत्नी या बच्चों का उस पर स्वतः कोई दावा नहीं बनता। पति चाहे तो उस संपत्ति को अपनी मर्जी से किसी को दे सकता है, ट्रस्ट में डाल सकता है या दान कर सकता है।
तलाक की याचिका का अधिकार
कई लोग यह मानते हैं कि सिर्फ महिलाएं ही तलाक की याचिका दायर कर सकती हैं। लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पुरुष भी तलाक की अर्जी कोर्ट में दाखिल कर सकते हैं। इसके लिए पत्नी की सहमति ज़रूरी नहीं होती। अगर पत्नी अत्याचार कर रही है, बार-बार बेबुनियाद आरोप लगा रही है या जान का खतरा है, तो पति एकतरफा तलाक की भी मांग कर सकता है।
भरण-पोषण (मेंटेनेंस) की मांग
Relationship: हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 24 के तहत यदि पति आर्थिक रूप से निर्बल है और पत्नी कमाने वाली है, तो वह भरण-पोषण की मांग कर सकता है। हालांकि, यह रकम कोर्ट की जांच और सुनवाई के बाद तय होती है।
बच्चों की कस्टडी का अधिकार
बच्चों की कस्टडी को लेकर अक्सर मान लिया जाता है कि मां को प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन कानून के अनुसार पिता को भी बच्चों की कस्टडी का बराबर अधिकार है। यदि पिता आर्थिक रूप से सक्षम है और मां की मानसिक या आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, तो कोर्ट बच्चे की कस्टडी पिता को भी दे सकता है।
कोर्ट और पुलिस दोनों से सहायता लेना संभव
Relationship: अगर पत्नी झूठे केस में फंसाने की धमकी दे रही है या पहले से ही झूठा केस दर्ज कर चुकी है, तो पुरुष कोर्ट में अग्रिम जमानत (anticipatory bail) की अर्जी दे सकता है। इसके अलावा वह महिला के खिलाफ IPC की धाराओं जैसे 182, 211 (झूठी FIR और झूठे केस) के तहत शिकायत दर्ज करा सकता है।
पुरुष आयोग की मांग—क्या यह जरूरी है?
महेश कुमार तिवारी नामक एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने राष्ट्रीय पुरुष आयोग की मांग की थी। उनका मानना है कि जिस तरह से महिलाओं को सुरक्षा देने के लिए आयोग बना है, उसी तरह पुरुषों के लिए भी एक संस्था होनी चाहिए जो उन्हें कानूनी और मानसिक सहारा दे।