Thursday, August 7, 2025

राहुल गांधी की विदेश नीति पर राजनीति, क्या यह भारत की विपक्षी भूमिका है या विदेशी हितों का समर्थन?

Rahul Gandhi: राहुल गांधी एक बार फिर अपने बयानों को लेकर विवादों में हैं।

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हाल ही में उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को एक ट्वीट में अप्रत्यक्ष रूप से यह सलाह दी कि वो प्रधानमंत्री मोदी को घेरने के लिए अडानी ग्रुप पर चल रही अमेरिकी जांच का इस्तेमाल करें।

गांधी ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार, अडानी और रूस के तेल व्यापार के बीच वित्तीय लेनदेन को छुपा रही है और इसी कारण प्रधानमंत्री ट्रंप के दबाव में हैं।

भारत के आंतरिक मामलों में बार-बार विदेशी ताकतों को क्यों ला रहे राहुल?

Rahul Gandhi: राहुल गांधी पर यह कोई पहला आरोप नहीं है। इससे पहले भी कई बार उन पर यह आरोप लग चुके हैं कि वे भारत के आंतरिक मुद्दों को वैश्विक मंच पर ले जाकर विदेशी ताकतों से भारत सरकार पर दबाव बनाने की अपील करते हैं।

इस बार तो उन्होंने सार्वजनिक रूप से एक विदेशी नेता को भारत के आर्थिक और राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप करने की सलाह दी है।

यह कदम न केवल संवेदनशील है, बल्कि राष्ट्रीय संप्रभुता पर प्रश्नचिह्न भी खड़ा करता है।

मोसाद रिपोर्ट, राहुल गांधी, हिंडनबर्ग और अडानी पर कथित साजिश

Rahul Gandhi: स्पुतनिक इंडिया की एक रिपोर्ट में दावा किया गया कि इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने अडानी पर लगे आरोपों की जांच करते हुए यह पाया कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के पीछे एक संगठित वैश्विक साजिश थी, जिसमें राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और हिंडनबर्ग रिसर्च शामिल थे।

रिपोर्ट के अनुसार, अडानी को निशाना बनाने का मकसद प्रधानमंत्री मोदी और भारत की अर्थव्यवस्था को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम करना था।

सोरोस कनेक्शन और राहुल की चुपचाप अमेरिका यात्रा

Rahul Gandhi: 2023 में राहुल गांधी की अमेरिका यात्रा भी अब जांच के घेरे में है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने वहाँ बिना आधिकारिक सूचना के व्हाइट हाउस के अधिकारियों से मुलाकात की।

इतना ही नहीं, वह एक कार्यक्रम में ‘हिंदूज फॉर ह्यूमन राइट्स’ की सह-संस्थापक सुनीता विश्वनाथ के पास बैठे दिखे, जो कि सोरोस समर्थित संस्थान है।

जॉर्ज सोरोस वही व्यक्ति हैं जिन्होंने भारत में ‘सत्ता परिवर्तन’ की सार्वजनिक मांग की थी।

अमेरिकी दबाव और राहुल गांधी की रणनीति

Rahul Gandhi: भारत पर अमेरिका लगातार व्यापारिक और राजनीतिक दबाव बना रहा है।

जब भारत ने एकतरफा व्यापार समझौते को ठुकराया, तो अमेरिका ने टैक्स बढ़ाने और रूस के साथ भारत के संबंधों को निशाना बनाना शुरू किया।

इसी समय राहुल गांधी का बयान कि अडानी के मुद्दे को अमेरिका को हथियार बनाना चाहिए, एक गंभीर संकेत देता है। यह भारत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दबाव को और हवा देने वाला कदम साबित हो सकता है।

विपक्ष की भूमिका या विदेशी एजेंडा?

Rahul Gandhi: लोकतंत्र में विपक्ष का काम है सरकार की आलोचना करना, पर यह आलोचना राष्ट्रीय हितों के भीतर रहनी चाहिए।

लेकिन राहुल गांधी की हालिया गतिविधियाँ, ट्रंप को सलाह, हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़ाव, सोरोस समर्थकों से मेलजोल, यह सब एक बड़े सवाल को जन्म देता है।

क्या यह सिर्फ एक विपक्षी नेता की रणनीति है या फिर किसी विदेशी योजना का हिस्सा?

Rahul Gandhi: राहुल गांधी के बयानों और विदेश दौरों से जुड़ी घटनाएँ इस ओर इशारा करती हैं कि कहीं न कहीं वह भारत के भीतर से ही भारत की छवि को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नुकसान पहुँचा रहे हैं।

क्या यह राजनीतिक अपरिपक्वता है, या जानबूझकर भारत की संप्रभुता को कमजोर करने की कोशिश?

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