राहुल गांधी के सवालों पर जनता की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का हालिया वीडियो देखने के बाद ग्रामीण और राजनीतिक समझ रखने वाले लोग उनके सवालों को लेकर मुस्कुरा रहे हैं।
उनके आरोप और प्रश्न इतने अव्यावहारिक प्रतीत होते हैं कि साधारण राजनीतिक अनुभव वाला व्यक्ति भी इन्हें गंभीरता से नहीं लेगा। ग्रामीण राजनीति में सक्रिय लोग इन्हें जमीनी सच्चाई से दूर मान रहे हैं।
भीड़ और वोट में अंतर न समझने की गलती
राहुल गांधी का कहना है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में जितने लोग उनके साथ थे, उतने वोट भी मिलने चाहिए थे, जबकि वे वहाँ हार नहीं सकते थे।
यह सोच तभी आती है जब नेता समाज से कट जाता है। ग्रामीण समझ बताती है कि भीड़ और वोट में अंतर होता है। वोटर सुबह एक नेता के साथ दिख सकता है।

दोपहर में दूसरे के साथ और शाम को तीसरे के साथ। भीड़ देखकर चुनावी जीत मान लेना राजनीतिक अपरिपक्वता है।
चुनाव आयोग पर निराधार आरोप
राहुल गांधी ने दावा किया कि चुनाव आयोग उन्हें वोटर लिस्ट और मतदान का वीडियो नहीं दे रहा। हकीकत यह है कि हर बूथ की वोटर लिस्ट पोलिंग एजेंट, बीएलओ और स्थानीय प्रतिनिधियों के पास होती है।
मतदान का वीडियो बनाना कानूनन अपराध है, क्योंकि इससे वोट की गोपनीयता भंग होती है। यह सामान्य बात वार्ड या पंचायत स्तर का उम्मीदवार भी जानता है।
डिजिटल डेटा बनाम प्रिंट डेटा का तर्क
राहुल गांधी का आरोप है कि आयोग डिजिटल की बजाय कागज़ में डेटा देता है, जिससे जांच मुश्किल होती है। जबकि सच यह है कि प्रिंट और डिजिटल में सूचना समान रहती है।

चुनाव प्रिंट सामग्री के आधार पर ही होते हैं। डिजिटलीकरण की प्रक्रिया जारी है, लेकिन केवल डिजिटल आधार पर आयोग को भ्रष्ट कहना तथ्यहीन आरोप है।
15 मिनट में देशभर की जांच का दावा
राहुल गांधी का यह कहना कि डिजिटल डेटा मिलने पर वे 15 मिनट में पूरे देश की जांच कर सकते हैं, वास्तविकता से परे है।
सौ करोड़ से अधिक मतदाताओं वाले देश में यह दावा केवल भाषणबाज़ी माना जा रहा है।
हाउस नंबर और वोटर लिस्ट की हकीकत
उन्होंने एक ही हाउस नंबर में 80 लोगों के नाम होने पर सवाल उठाया। यह समस्या वास्तविक है, लेकिन ग्रामीण भारत में स्थायी हाउस नंबर का कोई व्यवस्थित सिस्टम नहीं है, चाहे राज्य किसी भी दल का शासन हो।
बीएलओ खानापूर्ति के लिए नंबर दर्ज करता है, जिससे लिस्ट में त्रुटियाँ होती हैं। इसे वोट चोरी से जोड़ना तथ्यों का गलत उपयोग है।
डुप्लीकेट वोटर और विरोधाभासी रुख
राहुल गांधी का आरोप है कि एक व्यक्ति का नाम दो जगह वोटर लिस्ट में है। पलायन कर चुके लोगों के नाम गाँव और शहर, दोनों जगह दर्ज रहते हैं।
समाधान के लिए लिस्ट को आधार और पैन से लिंक करना होगा, जिसकी शुरुआत चुनाव आयोग ने बिहार से की है। विडंबना यह है कि राहुल गांधी और उनके सहयोगी इसी प्रक्रिया का विरोध करते हैं।
बीते तीन दिनों से बवाल मचाने वाले वामपंथी लेखक मित्रों को यह समझना चाहिए कि राहुल गांधी जिन तथ्यों पर राजनीति कर रहे हैं, वे वास्तविकता से मेल नहीं खाते।
यह ठीक वैसा है जैसे तालाब में मछली पकड़ने के लिए उतरकर किसी और वस्तु को पकड़ लेना और फिर उसे बड़ी सफलता मान लेना।