कानपुर देहात में थाने की कैद में भगवान श्रीकृष्ण
कानपुर देहात के शिवली थाने में भगवान श्रीकृष्ण, राधा और बलराम की अष्टधातु से निर्मित मूर्तियां पिछले 23 वर्षों से कैद हैं।
यह घटना सुनने में अविश्वसनीय लगती है, पर यह हकीकत है। हर साल जन्माष्टमी पर ही इन मूर्तियों को कैद से बाहर निकालकर पूजन-अर्चन किया जाता है।
कानूनी उलझनों के कारण 12 मार्च 2002 से थाने के मालखाने में बंद ये मूर्तियां केवल जन्माष्टमी के दिन ही बाहर आती हैं।

शनिवार को भी पुलिस कर्मियों ने परंपरा निभाते हुए मूर्तियों को मालखाने से निकाला, उनकी धुलाई-सफाई की, नए वस्त्र पहनाए और विधिपूर्वक पूजा कर पुनः मालखाने में रख दिया।
चोरी की घटना और बरामदगी
दरअसल, शिवली कस्बे के राधा-कृष्ण मंदिर से 2002 में चोरों ने करोड़ों की कीमत की अष्टधातु मूर्तियां चुरा ली थीं।
इनमें श्रीकृष्ण, राधा और बलराम जी की तीन बड़ी तथा कृष्ण-राधा की दो छोटी मूर्तियां शामिल थीं।
चोरी की शिकायत पर तत्कालीन कोतवाल राजुल गर्ग ने एक सप्ताह में ही चोरों को गिरफ्तार कर लिया था।
गिरफ्तार चोरों की निशानदेही पर तालाब से मूर्तियां बरामद कर ली गईं और आरोपियों को जेल भेज दिया गया।
हालांकि कुछ महीनों बाद चोर तो जेल से छूट गए, लेकिन बरामद मूर्तियां आज तक कानूनी प्रक्रिया पूरी न होने के कारण थाने के मालखाने में ही कैद पड़ी हैं।
आस्था जीवित रखने वाली परंपरा
घटना के बाद से हर वर्ष जन्माष्टमी पर पुलिस स्वयं मूर्तियों को बाहर निकालकर उनकी पूजा करती है।
सफाई, वस्त्र बदलने और विधिपूर्वक पूजन के बाद उन्हें पुनः मालखाने में रख दिया जाता है। यह परंपरा भक्तों की आस्था को जीवित रखे हुए है।
स्थानीय लोग कहते हैं कि भगवान को चोरों से तो बचा लिया गया, लेकिन कानूनी उलझनों से वे अब तक आज़ाद नहीं हो पाए। उनकी एक दिन की पूजा से ही भक्तों को आस्था का संबल मिलता है।
कोतवाल प्रवीण कुमार यादव ने भी पुष्टि की कि इस बार भी परंपरा के अनुरूप पूजा-अर्चना कर मूर्तियों को सुरक्षित रख दिया गया है।