भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष: 4–5 दिसंबर 2025 को होने वाला भारत-रूस शिखर सम्मेलन दोनों देशों के बीच 23वां वार्षिक सम्मेलन होगा।
यह परंपरा वर्ष 2000 से लगातार जारी है, और इसका लक्ष्य भारत और रूस के संबंधों को मजबूत करना, मौजूदा परिस्थिति का आकलन करना और भविष्य की संभावनाओं पर चर्चा करना है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का औपचारिक स्वागत करेंगी, जिसके बाद उनके सम्मान में विशेष भोज का आयोजन होगा।
यह दौरा दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही कूटनीतिक साझेदारी को नई ऊर्जा देने वाला माना जा रहा है।
भारत-रूस संबंधों का सात दशक का इतिहास
भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष: भारत और रूस के संबंध 70 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं, जिनकी नींव सोवियत संघ के दौर में पड़ी थी। रक्षा क्षेत्र इस रिश्ते का सबसे मजबूत स्तंभ रहा है।
भारत की सैन्य संरचना का बड़ा हिस्सा रूसी तकनीक पर आधारित है। पुतिन पहले भी 2000, 2004, 2010, 2014 और 2021 में भारत का दौरा कर चुके हैं, जबकि यूक्रेन युद्ध के बाद यह उनकी पहली बड़ी विदेश यात्रा होगी।
रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के अनुसार, दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़कर 63 अरब डॉलर तक पहुँच चुका है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि 2030 तक यह आंकड़ा 100 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है। ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देश तेल व्यापार, गैस साझेदारी और नई परमाणु तकनीकों पर भी विचार कर रहे हैं।
दौरे की विशेषता और वैश्विक महत्व
भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष: यूक्रेन युद्ध और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के बीच पुतिन का भारत आना बेहद महत्वपूर्ण है। यह भारत की स्वतंत्र विदेश नीति और रूस के साथ उसकी रणनीतिक निकटता का मजबूत संकेत देता है।
साथ ही यह यात्रा भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्षों के उत्सव का प्रतीक है।
भारत की दो-तिहाई सैन्य प्रणालियाँ रूसी मूल की होने के कारण रक्षा सहयोग इस दौरे का सबसे बड़ा केंद्र बिंदु है।
ऊर्जा के क्षेत्र में भी रूस अब भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल आपूर्तिकर्ता बन चुका है, जिससे यह बैठक ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से भी बेहद महत्वपूर्ण हो जाती है।
बातचीत के प्रमुख मुद्दे
भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष: इस शिखर सम्मेलन में S-400 वायु रक्षा प्रणालियों की शेष आपूर्ति में तेजी लाने और Su-57 जैसे उन्नत लड़ाकू विमानों पर भविष्य में संयुक्त सहयोग पर चर्चा होगी।
इसके अलावा व्यापार असंतुलन को कम करने, तेल-गैस क्षेत्र में निवेश बढ़ाने और रुपये-रूबल व्यापार निपटान प्रणाली को मजबूत बनाने पर फोकस होगा।
दोनों देशों के बीच सैन्य अभ्यास और मानवीय मिशनों में सहयोग को आसान बनाने वाले समझौतों पर भी हस्ताक्षर की संभावना है। साथ ही व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और
भारतीय श्रमिकों के लिए रूस में रोजगार अवसर बढ़ाने जैसे विषयों पर भी कई महत्वपूर्ण समझौते हो सकते हैं।
वैश्विक आतंकवाद, क्षेत्रीय स्थिरता और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था पर भी दोनों नेता विस्तृत चर्चा करेंगे।
पुतिन के भारत दौरे का पूरा कार्यक्रम
भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी के 25 वर्ष: 4 दिसंबर की शाम रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन नई दिल्ली पहुँचेंगे। उसी रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 7, लोक कल्याण मार्ग पर उनके सम्मान में निजी रात्रिभोज का आयोजन करेंगे।
5 दिसंबर की सुबह 9 बजे राष्ट्रपति भवन में पुतिन को औपचारिक स्वागत दिया जाएगा, जहां उन्हें त्रि-सेवा गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया जाएगा।
सुबह 10 बजे वे राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे।
इसके बाद सुबह 11 बजे हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ भारत-रूस शिखर बैठक होगी, जिसमें रक्षा, ऊर्जा, व्यापार, स्पेस और टेक्नोलॉजी से जुड़े कई अहम समझौते किए जा सकते हैं।
शाम 4 बजे पुतिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे, जहां व्यापारिक सहयोग को और बढ़ाने पर फोकस होगा।
शाम 7 बजे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उनके सम्मान में राज्य भोज आयोजित करेंगी। उसी रात पुतिन अपनी यात्रा समाप्त कर रूस के लिए रवाना हो जाएंगे।

